Chhattisgarhi Kahawat Meaning । छत्तीसगढ़ी हाना अर्थ सहित । Chhattisgarhi Hana। छत्तीसगढ़ी कहावते

आज का विषय है – Chhattisgarhi Kahawat Meaning, छत्तीसगढ़ी कहावते इसे हाना भी कहा जाता है , आज हम कुछ मजेदार कहावतों के बारे में पढ़ेंगे साथ ही इसका प्रयोग, अर्थ एवं व्याख्या के बारे में जानेंगे। भाषा में सजीवता, भव्यात्मकता और आकर्षण उत्पन्न करने के लिए कहावतों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे प्रयोग से प्रस्तुत कथन कुछ अलग ढंग में ही रोचकता उत्पन्न कर देता है। कहावतें भाषा के प्राण तत्व हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हुए यह कहावतें कालजयी होती हैं।
गांव और शहर, शिक्षित और अशिक्षित, सबके बीच में बोलचाल और लेखन के रूप में इनका सहज ही उपयोग होता रहता है। किसी भी विकसित भाषा की समृद्धि में कहावतों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। कहावतें संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग होते हैं, जो जीवन से जुड़ी हुई गांव, खेत, खलिहान, रीति-रिवाज, पहनावा, खान-पान, धर्म जैसे महत्वपूर्ण पक्षों को छूती हुई उसकी विशिष्टता को रेखांकित करती है।
भाषा के शक्ति विकास में मुहावरों, कहावतों, लोकोक्तियों, सूक्तियों इत्यादि का अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। किसी भाषा में इनकी विद्यमानता उस भाषा की शक्ति और समृद्धि का सूचक है।

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1 Chhattisgarhi Kahawat Meaning

Chhattisgarhi Kahawat Meaning

हाना: अइस रे मुड़ढ़क्की रोग, बाढ़े बेटा ला लागे जोग ।

  • वाक्यानुवाद : सिर ढकने वाला रोग आने से पुत्र को योग लग गया।
  • व्याख्या : शादी होने के बाद जवान पुत्र अपनी पत्नी के साथ अधिक रहने के कारण परिवार के अन्य सदस्यों को कम समय दे पाता है, जिससे वह अन्य लोगों की आलोचना का पात्र होता है।
  • प्रयोग : पत्नी के प्रति विशेष आकर्षण होने से आगे चलकर ऐसे लोगों को ‘पत्नी का गुलाम’ कहा जाता है।

हाना : अइसन बहुरिया चटपट, खटिया ले उठे लटपट।

  • वाक्यानुवाद : बहू ऐसी चंचल है कि वह खाट से मुश्किल से उठ पाती है।
  • व्याख्या: जो बहू घर का कार्य समय में नहीं करती, क्योंकि वह सुबह देर तक सोती रहती है, खाट से मुश्किल से उठ पाती है।
  • प्रयोग अनुकूलता : आलसी बहुओं पर व्यंग्य कसने के लिए यह कहावत कही जाती है।

हाना : अपन-अपन कमाय, अपन-अपन खाय।

  • वाक्यानुवाद : अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खाना ।
  • व्याख्या : सामान्यत: जब परिवार में सभी कमाने वाले हो जाते हैं और सम्मिलित रूप से घर का खर्चा चलते तो रहता है, परंतु खटपट भी होने लगता है।
  • प्रयोग : सम्मिलित परिवार में कमाने वाले कम तथा खाने वाले अधिक होते हैं। काम को बिना बाँटे करने में उसके प्रति काम करने वालों का आकर्षण कम हो जाता है, इसलिए कार्य का बँटवारा एवं उससे मिलने वाला लाभ भी अलग-अलग होने के लिए यह लोकोक्ति कही जाती है।

हाना : अपन आँखी माँ नींद आये।

  • वाक्यानुवाद : अपनी आँखों में नींद आती है।
  • व्याख्या : नींद लगती है, तो आँखें भी बंद होने लगती हैं। जिसे नींद आती है, उसी की आँखें बंद होती है। आँख और नींद का संबंध एक ही व्यक्ति पर लागू होता है।
  • प्रयोग : अपना कार्य जब दूसरे व्यक्ति नहीं कर पाते, तब स्वयं के करने से होता है। जब कोई व्यक्ति अपना काम दूसरे को सौंप दे और वह उसे न कर पाए, तब अपना कार्य स्वयं करने से होता है, यह बताने के लिए इस कहावत का प्रयोग किया जाता है।

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हाना : अपन करनी करै, दूसर ला दोस दै।

  • वाक्यानुवाद : स्वयं करतूत करना तथा दूसरे पर दोष मढ़ना ।
  • व्याख्या : व्यक्ति कार्य तो स्वयं करता है, जब परिणाम पक्ष में नहीं होते तो दूसरों पर दोष डालने की कोशिश की जाती है।
  • प्रयोग : ऐसे व्यक्ति जो स्वयं गलत काम करके उसके परिणाम का भागी दूसरों को बताते हैं , उन के लिए या लोकोक्ति प्रयुक्त होती है।

हाना : कन्हार जोतै, कुल बिहावै ।

  • वाक्यानुवाद : कन्हार जोतना, कुलीन वंश में विवाह करना।
  • व्याख्या : अन्य प्रकार की भूमि की अपेक्षा कन्हार जमीन में खेती करने से फसल खराब होने की संभावना कम होती है तथा कुलीन वंश में शादी करने से प्रतिष्ठा घटने की संभावना कम रहती है।
  • प्रयोग : शादी तय करते समय खानदान की छान-बीन करने के लिए तथा शादी के बाद लड़की खराब निकल जाने पर यह कहावत कही जाती है।

हाना : कनखजूर के एक गोड़ टूट जाये, तभो खोरवा नइ होय।

  • वाक्यानुवाद : कानखजूरे का एक पैर टूट जाने पर भी वह लँगड़ा नहीं होता।
  • व्याख्या : यदि बड़े आदमी का थोड़ा-बहुत नुकसान हो जाए, तो वह उसे नहीं अखरता ।
  • प्रयोग : इस कहावत का प्रयोग ऐसे बड़े लोगों के लिए होता है, जिनका थोड़ा मोड़ा नुकसान कुछ अर्थ नहीं रखता।

हाना : कनवा के रोटी ला कुकुर खाय ।

  • वाक्यानुवाद : काने की रोटी को कुत्ता खाता है।
  • व्याख्या : काना मतलब अंधा व्यक्ति के न देख सकने के कारण उसकी रोटी को कुत्ता खा जाता है।
  • प्रयोग : जो व्यक्ति अपनी वस्तुओं को निगरानी नहीं करता उसकी वस्तुओं का उपभोग दूसरे लोग करते है.

हाना : कमाय निंगोटी वाले, खाय टोपी वाले ।

  • वाक्यानुवाद : कमाए लँगोट वाले, खाए टोपी वाले।
  • व्याख्या : कमावे कोई और तथा खाए कोई और। लँगोट पहनने वाले ग्रामीण कृषक कमाते हैं तथा टोपीधारी नेतागण खाते हैं।
  • प्रयोग : नेताओं के आराम परस्ती को देखकर यह कहावत कही जाती है।

हाना : करथस रिस त, सील लोढ़ा ल पिस ।

  • वाक्यानुवाद : क्रोध करते हो, तो सिल-लोढ़े को घिसो ।
  • व्याख्या: क्रोध करने वाले व्यक्ति के लिए क्रोध-शमन करने के लिए सिल-लोढ़े को घिसने के लिए कहा गया है।
  • प्रयोग : क्रोध करने से स्वयं की हानि होती है। सिल लोढ़े को घिसने से हाथ थकने पर क्रोध शांत हो जाएगा तथा बुद्धि ठिकाने आ जाएगी। ऐसे परिपेक्ष्य में यह कहावत कही जाती है।

हाना : करनी करैया बाँच गे, फरिका उघरैया के नाव ।

  • वाक्यानुवाद : अनुचित कार्य का कर्ता कोई और हो, किन्तु फल किसी और के सिर पड़े।
  • व्याख्या : जिसने अपराध किया, वह पकड़ में नहीं आया। अपने पकड़े जाने का संदेह होने पर वह भाग खड़ा हुआ, परंतु फाटक खोलने वाला अपने को अपराधी न मानने के कारण वहाँ खड़ा रहा, जिससे वह पकड़ में आ गया और दोषी माना गया।
  • प्रयोग : इस कहावत का प्रयोग ऐसे समय में होता है, जब असली व्यक्ति गिरफ्त में नहीं आता और निर्दोष व्यक्ति पकड़ा जाता है।

हाना : बिगरे बात के तना-नना ।

  • वाक्यानुवाद : बिगड़ी बात इधर-उधर हो जाती है।
  • व्याख्या : जब कोई काम बिगड़ना होता है, तब उसमें इधर-उधर से अनेक व्यवधान आते हैं।
  • प्रयोग : एक तरफ काम को बिगड़ते देखकर तथा दूसरी तरफ बाधाओं को पड़ते हुए देखकर यह कहावत कही जाती है।

हाना : बिन देखे चोर भाई बरोबर ।

  • वाक्यानुवाद : बिना देखा हुआ चोर, भाई बराबर ।
  • व्याख्या : चोरी करते हुए चोर को जब तक पकड़ न लिया जाए, तब तक वह भाई के समान ही होता है।
  • प्रयोग अनुकूलता : भले ही आप जानते हों कि उसने चोरी किया है, पर जब तक उसे चोरी करते रंगे हाथों पकड़ न लें, तब तक आरोप नहीं लगा सकते।

हाना : बिन पैसा के आगू डोंगा चढ़े।

  • वाक्यानुवाद : बिना पैसा वाला नाव पर पहले चढ़ता है।
  • व्याख्या : जिस व्यक्ति के पास पैसे नहीं है, वह किसी की परवाह किए बिना नाव को तैयार देखकर उसमें बैठ जाता है। नाव चलने के बाद पैसा न मिलने पर भी नाविक न तो उसे उतार ही सकेगा और न नाव वापस लाएगा।
  • प्रयोग : अनाधिकारी व्यक्ति की किसी कार्य को करने की उतालवापन को देखकर यह कहावत कही जाती है।

हाना : भागती भूत कबरिया लादे

  • वाक्यानुवाद :भागते भूत की गोदरी लादै।
  • व्याख्या : भूत भाग गया, परंतु भागते समय गोदरी छोड़ गया। उसमें ही संतोष कर लेना चाहिए।
  • प्रयोग : जिससे कुछ भी आशा न हो, उससे जो कुछ मिल जाए, उसे ही ठीक मान लेना चाहिए।

हाना : सना भागे मउरी जॉप असन मोठ

  • वाक्यानुवाद : भागी हुई मछली जाँघ जैसी मोटी थी।
  • व्याख्या : पानी के अंदर जाल में आई हुई मछली यदि भाग जाए, तो उसके लिए पछतावा होता है। पछताने वाला किसी के द्वारा पूछे जाने पर उसे जाँघ जितनी मोटी बताता है।
  • प्रयोग : कोई चीज हाथ से निकल जाने पर अधिक अच्छी मालूम पड़ने लगती है। ऐसी वस्तु की प्रशंसा सुनकर लोग इस कहावत का प्रयोग करते हैं।

हाना : राजा नल पर विपत परी, भूँजे मछरी दहरा माँ परी।

  • वाक्यानुवाद : राजा नल पर विपत्ति पड़ी, भुनी मछली मँझधार में
  • व्याख्या : विपत्ति के कारण भुनी हुई मछली भी मँझधार में चली गई। किसी व्यक्ति के मुसीबत में फँसे हुए होने से बना-बनाया काम भी बिगड़ जाता है।
  • प्रयोग : मुसीबत पड़ने पर बनते हुए कार्य के बिगड़ जाने पर यह कहावत प्रयुक्त होती है।

हाना : रात भर गाड़ा जोतिस, कुकदा के कुकदा।

  • वाक्यानुवाद : रात भर गाड़ी चलाई, जहाँ के तहाँ ।
  • व्याख्या : यदि कोई व्यक्ति रात भर गाड़ी चलाए, तो वह काफी दूर जा सकता है अथवा बहुत-सी वस्तुओं को ढो सकता है, परंतु रातभर गाड़ी चलाने वाला न तो दूर जा सका और न ही वस्तुओं को ढो सका, जिससे गाड़ी चलाने का परिश्रम व्यर्थ हो गया।
  • प्रयोग : जब कोई व्यक्ति कड़ी मेहनत करने पर भी अपना काम पूरा नहीं कर पाता, तब यह कहावत कही जाती है।

हाना : रात भर रमायन पढ़िस, बिहनिया पूछिस राम-सीता कोन ए, त भाई-बहिनी ।

  • वाक्यानुवाद : रात भर रामायण पढ़ी, सुबह पूछा कि राम-सीता कौन हैं, तो बतलाया कि भाई-बहन हैं।
  • व्याख्या : किसी बात को सुनकर भी न समझना।
  • प्रयोग : जो किसी व्यक्ति की बात को सावधानी से न सुने और फिर उसके संबंध में प्रश्न करे, तो व्यंग्य में उसके लिए इस कहावत का प्रयोग किया जाता है।

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