आज के इस पोस्ट Chhattisgarh Ke Lokgeet में हम छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख लोकगीत के बारे में पॉइंट वाइस जानकारी प्राप्त करेंगे जिससे आपको छत्तीसगढ़ के लोकगीतों को समझने में आसानी होगी।
लोकगीत क्या है?
- लोकगीतों की परंपरा प्राचीन समय से विद्यमान है.
- लोक गीतों के रचयिता प्रायः अज्ञात होते हैं। वस्तुतः ये गीत समूहगत रचनाशीलता का परिणाम होते हैं एवं मौखिक परंपरा में जीवित रहकर युगों की यात्रा करते हैं।
- लोकगीत कटुताओं, पर्वों, संस्कारों के अतिरिक्त धर्म और श्रम से भी संबंधित होते हैं।
- लोक मन स्पंदित होकर गुनगुनाने के लिए बंधन या नियम की आवश्यकता नहीं होती है, इसीलिए ये संस्कृति के समग्र संवाहक होते हैं।
- लोकगीतों में राज्य की आदिम परम्परा व जातीय विशेषताएं दृश्टिगत होती है।
लोकगीतों की विशेषताएं
- इनके मूल में आदिम परंपरा एवं जातीय विशेषताएं हैं। इनका दर्शन लोकगीतों में होता है।
- लोक गीत से विभिन्न पर्व, उत्सव, अनुष्ठान जुड़े हैं।
- लोक गीतों के प्रतीक ग्राम्य एवं कृषि संस्कृति से लिए गए होते हैं।
- लोक गीतों के रचयिता ओर रचनाकाल अज्ञात ही होते हैं। अतः यह लोक संपत्ति होती है और सर्वकालिक भी होती है।
- लोक गीतों की परंपरा मौखिक होती है। उनमें स्वाभाविकता, तीव्र भावाभिव्यक्ति, लयता, सहजता एवं सपाट बयानी होती है।
- इनमें प्रायः प्रश्नोत्तर प्रणाली, पुनरावृत्तियां, टेक एवं अतिशयोक्तियां होती हैं।
- छत्तीसगढ़ के लोक साहित्य में लोकगीतों की प्रचुरता है। विभिन्न संस्कार गीत भी इसका हिस्सा हैं।
छत्तीसगढ़ के गीत एवं गीतकार
गीत | गीतकार |
वेदमती शैली | ऋतु वर्मा, झाडूराम, देवांगन, पूनाराम निषाद, रेवाराम साहू |
कापालिक शैली | तीजनबाई, शांतिबाई, ऊषाबाई |
ददरिया | लक्ष्मण मस्तुरिया, दिलीप षडंगी, केदार यादव |
भरथरी | सुरुजबाई खाण्डे |
पन्थी गीत | देवदास बंजारे |
चन्दैनी गायक | चिन्तदास खाण्डे |
बाँस गीत | केजुराम यादव, नकुल यादव |
कबीर गीत | भारती बन्धु |
छत्तीसगढ़ लोकगीतों के भाग
छत्तीसगढ़ के लोकगीतों को मुख्यतः पाँच भागों में विभाजित किया गया है –
1 . धर्म व पूजा गीत, 2. पर्व व उत्सव गीत, 3. संस्कार गीत, 4. ऋतु आधारित गीत, 5. मनोरंजन गीत
1 . धर्म व पूजा गीत
जंवारा गीत
- जौ के हरे अंकुर को जंवारा कहते हैं।
- चैत्र नवरात्रि में गाया जाता है और जंवारा निकला जाता है.
- नवरात्रि के प्रथम दिवस पर बोए गए जंवारा को नवमी के दिन विसर्जित किया जाता है।
गौरा गीत
- यह माँ दुर्गा की स्तुति में गाया जाने वाला लोकगीत है।
- यह नवरात्री एवं दीपावली के समय पर भी गाया जाता है।
पन्थी गीत
- इस गीत के जनक है देवदास बंजारे
- यह सतनामी समाज के लोगों द्वारा अध्यात्म महिमा से भरपूर प्रसिद्ध नृत्य गीत है।
- यह गीत जैतखाम की स्थापना करके उसके गोलाकृति में नाचते हुए गाया जाता है।
- इसमें मुख्य वाद्ययंत्र झांझ व मान्दर का उपयोग किया जाता है।
भोजली गीत
- भोजली का अर्थ है – महिलाएं टोकरी में मिटटी में खाद मिलाकर उसमें गेंहू, धान, जौ आदि के बीज डालती है, जिसमें पौधे निकलते हैं उसे भोजली कहा जाता है।
- यह गीत रक्षाबंधन के दूसरे दिन भादो माह कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन गाया जाता है।
- भोजली पर्व पर भोजली को विसर्जित करते समय गाया जाता है।
- भोजली गीत में गंगा का नाम बार -बार आता है – ” आ हो देवी गंगा ओ देवी लहर गंगा “
धर्म व पूजा से संबंधित अन्य गीत
सेवा गीत
- यह नवरात्रि के समय देवी पूजन पर गाया जाता है।
बैना गीत
- तंत्र साधना से सम्बंधित लोक गीत है जिसे देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए गाया जाता है।
नागमत गीत
- यह नागदेव के गुणगान व नागदेवता से सुरक्षा की प्रार्थना में गाया जाने वाला लोकगीत है। जिसे नागपंचमी के अवसर पर गाया जाता है।
जस गीत
- यह देवी पूजन के अवसर पर गये जाने वाला लोकगीत हैं.
2 . पर्व उत्सव गीत
सुआ गीत
- यह गीत दीपावली के पूर्व से शुरू होकर दीपावली के अंतिम दिवस शिव गौरी के विवाह तक चलता है.
- यह गीत आदिवासी महिलायें सुआ नृत्य के समय गाती है।
- इस गीत को गौरी नृत्य गीत भी कहा जाता है।
- इस गीत की शैली – श्रृंगार प्रधान है।
छेरछेरा गीत
- यह गीत पौष माह की पूर्णिमा में गया जाता है।
- इस अवसर पर बच्चे घर घर धान मांगने जाते है , और इस लोकगीत को गया जाता है।
फाग गीत
- इसे होली पर्व पर गया जाता है।
- फाल्गुन माह में किये जाने के कारण इसका नाम फाग गीत भी कहा जाता है।
- यह मूल रूप से उत्तर प्रदेश का लोकगीत है।
राउत गीत
- यह छत्तीसगढ़ी यादव समाज का दस दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध दीपावली नृत्य गीत है।
पहकी गीत
- होली के अवसर पर अश्लीलापूर्ण परिहास में गाया जाने वाला लोकगीत है।
3 . संस्कार गीत
पड़ौनी /भड़ौनी गीत
- विवाह के समय हंसी मजाक को मूल लक्ष्य बनाकर खाना खाने के समय गाया जाता है।
चुलमाटि गीत
- विवाह के आरम्भ के समय माटी की खुदाई करते समय गाया जाता है।
मायन गीत
- विवाह में मातृ का पूजन और पितृ निमंत्रण होता है तब गाया जाता है।
तेलचढ़ी गीत
- वर या कन्या को तेल व हल्दी लगाते समय गाया जाता है।
भाँवर गीत
- यह गीत फेरों के समय गाया जाता है।
टिकावन गीत
- यह लोकगीत नव विवाहित जोड़ो को उपहार देते समय गाया जाता है।
परघौनी गीत
- बारात के स्वागत के समय गाया जाता है।
पठौनी गीत
- यह गीत बिदाई के समय गाया जाता है।
संघौरी गीत
- यह गीत गर्भावस्था के सातवें महीने में उत्सव आयोजन पर गाया जाता है।
लोरी गीत
- यह गीत बच्चे को सुलाते समय गाया जाता है।
सोहर गीत
- यह गीत नवजात शिशु के जन्म के समय गाया जाता है।
4 . ऋतू आधारित गीत
सवनाही गीत
- यह गीत वर्षा ऋतु में गाया जाता है।
- श्रावण माह में जादू-टोने, बीमारियों से गाँव तथा पशुओं की सुरक्षा के लिए यह त्योहार प्रत्येक रविवार को मनाया जाता है।
- इसका गायन बैगाओं द्वारा किया जाता है।
5. मनोरंजन गीत
पण्डवानी गीत
- यह किसी भी अवसर पर गाया जा सकता है।
- इसमें प्रयुक्त वाद्ययंत्र – तम्बूरा व करताल (तम्बूरे का प्रयोग अर्जुन के धनुष का प्रतीक तथा भीम की गदा का प्रतीक माना जाता है।)
- पण्डवानी गीत के रचयिता – सबल सिंह चौहान
- इसमें 2 शैली होती है – पहला – वेदमती एवं दूसरा – कापालिक
- पण्डवानी – महाभारत कथा का छत्तीसगढ़ी रूप है।
पण्डवानी पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारी
- झाडूराम देवांगन को पण्डवानी का पितामह कहा जाता है।
- पण्डवानी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने वाले कलाकार – झाड़ूराम देवांगन, तीजनबाई, ऋतु वर्मा
- पाण्डवों की कथा का छत्तीसगढ़ी लोकरूप में गीतमय आख्यान ही पण्डवानी है।
- पण्डवानी गायिका तीजनबाई को पद्मभूषण, पद्मश्री एवं पद्मविभूषण सम्मान प्राप्त है।
- पण्डवानी को छत्तीसगढ़ की बहादुरी के सन्दर्भ में लोकनाट्य भी कहा जाता है।
- पण्डवानी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है।
- परधान जाति, गायक अपने यजमान को घर जाकर पण्डवानी सुनाते हैं।
- देवार एवं परधान जाति के लोगों ने पण्डवानी को सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रचलित किया।
- परधान जाति का कथावाचक हाथ में रुंझू तथा देवार जाति का कथावाचक हाथ में किंकनी रखता है।
- इसमें कलाकार अर्द्धगोलाकार रूप में बैठते हैं तथा रोचक प्रश्नों द्वारा कथा को प्रस्तुत करते हैं।
पण्डवानी की शैलियाँ
छत्तीसगढ़ में पण्डवानी की दो शैलियाँ प्रचलित हैं – 1 वेदमती शैली 2 कापालिक शैली
वेदमती शैली
- वेदमती शैली इस शैली को शास्त्रीय पण्डवानी भी कहते हैं।
- इसके गायक वीरासन पर बैठकर गायन करते हैं।
- इसके गायक शास्त्र सम्मत गायकी करते हैं।
- इसका एक प्रमुख केन्द्रीय गायक होता है, जो स्वयं तम्बूरा और करताल बजाता हुआ नृत्य करते हुए अभिनय के साथ महाभारत की कथा को प्रस्तुत करता है।
- केन्द्रीय गायक की बातों को हुँकार भरने वाला एक रागी होता है।
- रागी के साथ तबला, ढोलक, करताल, हारमोनियम आदि परम्परागत वाद्य यन्त्रों पर संगत करने वाले कलाकार होते हैं।
वेदमती गायन शैली के तीन स्वरूप हैं
- बैठा हुआ नाट्य शैली – इसमें गायक घुटनों के बल बैठकर तम्बूरा के माध्यम से अभिनय करता है। इस शैली के श्रेष्ठतम कलाकार झाड़ूराम देवांगन हैं।
- उठता हुआ नाट्य शैली – इसमें गायक खड़े होकर या चलते हुए कथा प्रस्तुत करता है। इसकी श्रेष्ठतम कलाकार तीजनबाई हैं।
- खड़ी नाट्य शैली – इसमें गायक खड़े होकर अभिनय करता है, रागी हुँकार भरने के साथ कड़ियों को दोहराता है। इस शैली के श्रेष्ठ कलाकार रेवाराम जंजीर हैं।
कापालिक शैली
- कापालिक शैली कापालिक परम्परागत गायन शैली है, जिसे परधान एवं देवार जैसे गायक पालथी मारकर एवं बैठकर गाते हैं।
- इसमें गायन एवं नृत्य दोनों कार्य किए जाते हैं। इसमें गायन, कपाल शास्त्र अर्थात् स्मृति परम्परा पर आधारित होता है।
- कापालिक शैली में गायक ही वादन कार्य करता है।
- प्रयुक्त वाद्य यन्त्रों के आधार पर कापालिक की भी उप शैलियाँ हैं; जैसे- सारंगिया देवा, दुगारू देवा आदि।
- कापालिक गायन शैली की प्रमुख गायिका तीजनबाई, शान्तिबाई, ऊषाबाई व ऋतु वर्मा हैं।
ढोलामारु गीत
- राजस्थान की लोककथा – यह राजस्थान के नटवर राजकुमार तथा पुंगल देश की राजकुमारी की प्रेम कथा है।
- नवयुवतियाँ यह गीत पौष रात्रि में द्वीप जलाते हुए गाती हैं।
मड़ई गीत
- राउत जनजाति द्वारा गाया जाने वाला गीत है।
- इनका मुख्य वाद्ययंत्र ढोल होता है.
- मड़ई का अर्थ – मड़ई मयूर पंख एवं कौड़ियों से सजा हुआ स्तम्भ होता है।
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बाँस गीत
- गीत का विषय – महाभारत के पात्र कर्ण और मोरध्वज व शीतबसन्त का वर्णन।
- इसका गायन राउत जाति द्वारा किया जाता है।
- इस गीत के प्रमुख गायक – कैजूराम यादव व नकुल यादव
- इसमें प्रयुक्त होने वाला वाद्ययंत्र – बाँस (मोहराली)
- इसमें रागी, गायक एवं वादक तीनों होते हैं।
- यह नृत्य विहीन लोकगीत है।
ददरिया गीत
- इस गीत को युवक व युवतियाँ फसल बोते समय गाते हैं। वे अपने मन की स्थिति इस गीत के माध्यम से बताते हैं।
- यह गीत महिला एवं पुरुष अलग-अलग या एक साथ भी गा सकते हैं।
- बैगा जनजाति ददरिया नृत्य के समय भी यह गीत गाती है।
- इस गीत में श्रृंगार रस की बहुलता है।
- यह गीत सवाल-जवाब पद्धति पर आधारित है।
- इसके प्रमुख गीतकार – केदार यादव, दिलीप षडंगी, लक्ष्मण मस्तुरिया एवं हुसैन शेख हैं।
- ददरिया गीत को छत्तीसगढ़ के लोकगीतों का राजा कहा जाता है।
- छत्तीसगढ़ लोक जीवन तथा साहित्य में ददरिया गीत को प्रेम काव्य के रूप में स्वीकृति मिली है।
लोरिक चन्देनी गीत
- यह लोरिक और चन्दा के प्रेम प्रसंग पर आधारित है।
- लोरिक व चन्दा छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध प्रेमी थे। लोरिक रीवा तथा चन्दा आरंग की निवासी थी।
- इसके प्रमुख गीतकार है चिन्तादास
- इसमें प्रयुक्त होने वाले वाद्ययंत्र – टिमकी व ढोलक
- इस गीत की शैली – गाथामथी शैली (लोरिक) एवं गीतमयी शैली (चन्दैनी)
डण्डा गीत
- यह प्रतिवर्ष पूर्णिमा से पूर्व गाया जाता है।
- इसे शैला नाच के नाम से भी जाना जाता है।
- यह छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रसिद्ध नृत्य गीत है।
भरथरी गीत (वियोग गीत)
- गीत का विषय – इसमें राजा भरथरी और रानी पिंगला के वैराग्य जीवन का वर्णन किया जाता है।
- इस गीत की प्रमुख गायिका – सुरुजबाई खाण्डे
- इसमें प्रयुक्त होने वाला वाद्ययन्त्र इकतारा एवं सारंगी
- यह गीत श्रृंगार रस पर आधारित है।
- इस लोकगीत को विधा के रूप में जाना जाता है।
- भरथरी गायक स्वयं को योगी (गीत में) कहते हैं।
- भरथरी को प्रारम्भ में व्यक्तिगत रूप से खंजारी बजाते हुए गाया जाता है।
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नचौनी गीत
- यह नारी की विरह वेदना, संयोग-वियोग के रसों से भरपूर प्रसिद्ध लोकगीत है।
देवार गीत
- यह देवार जाति (घुमन्तु जाति) द्वारा घुघरूयुक्त चिकारा के साथ गाया जाने वाला गीत है।
करमा गीत
- यह गीत नई फसल आने पर महिलाओं द्वारा करमा देव को प्रसन्न करने के लिए गाया जाता है।
गोपल्ला गीत
- यह गीत कल्चुरि वंश से सम्बद्ध है।
बसदेवा गीत
- यह श्रवण कुमार से सम्बद्ध कथानक गीत है
अन्य नृत्य गीत
- पन्थी, गेंडी, गौर, सैला, सरहुल, ककसार,पाटा, हुलकीपाटा, थापटी ।
- इन गीतों में दैनिक जीवन की क्रियाओं एवं स्थितियों के साथ प्रेम शृंगार का भाव होता है। ये गीत विविधतापूर्ण होते हैं।
Chhattisgarh Ke Lokgeet के इस भाग में अपने छत्तीसगढ़ के सभी लोकगीतों के बारे में जाना इससे सम्बंधित और जानकारिया अगले पोस्ट में दी जाएगी। यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताये और इसमें कुछ जानकारी आपको जोड़ना हो तो हमें मेल करें।