दुनिया भर में पाई जाने वाली बांस की सभी प्रजातियों में से केवल 110 प्रजातियों के बांस के कोंपल ही खाने योग्य होते हैं।
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बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के साथ साथ खान-पान के लिए भी जाना जाता है।
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यह बांस का अंकुरित पौधा होता है जिसे यहाँ के लोग बड़े ही चाव से सब्जी बनाकर खाते हैं।
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इसे करील नाम से भी बोला जाता है। आदिवासी गोंडी बोली में इसे बास्ता कहते हैं।
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करील बांस की ताजा कोपलों को कहते हैं यानी जमीन से ताजा उगा बांस, जो कोमल होता है।
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इसे रसेदार और सूखी सब्जी जैसा पकाया जाता है, इसे दाल या अन्य सब्जियों में मिलकर भी पकाते हैं।
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बांस का कोंपल हल्का पीले रंग का होता है और इसकी महक बेहद तेज होती है।
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बांस में सायनोजेनिक ग्लुकोसाईठ, टैक्सीफाईलीन एवं बेंजोईक अम्ल पाया जाता है।
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* वजन कम करने * हृदय गति और रक्तचाप को नियंत्रित करने * मानसून और सर्दियों की शुरुआत में वायरल और बैक्टीरिया के संक्रमण से दूर करने। * अल्सर जैसी स्थितियों से राहत दिलाने में मदद करता है। * कैंसर विरोधी गुणों के लिए जाना जाता है । * रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर को विनियमित करता है।
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बस ध्यान दें कि बांस की कोंपलें को किसी गंभीर बीमारी का इलाज नहीं समझना चाहिए। हां, इसे स्वस्थ रहने के लिए डाइट में शामिल किया जा सकता है। बास्ता हर साल जून से अगस्त तक पाया जाता है।
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