आज के इस पोस्ट में Chhattisgarh Ke Rajkiya Pratik Chinh की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होगी जिसमें हम जानेंगे राजकीय चिन्ह, राजकीय वृक्ष, राजकीय फल, राजकीय भाषा, राजकीय गीत, राजकीय व्यंजन, राजकीय पक्षी, राजकीय पशु के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
छत्तीसगढ़ का राजकीय चिन्ह
04 सितम्बर 2001 को छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने प्रतिक चिन्ह को स्वीकृत कर तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। यह चिन्ह राज्य की विरासत, अपार संपदा और और इसके उपयोग की अनंत संभावनाओं का प्रतीकात्मक स्वरुप है।
- प्रतिक चिन्ह की वृत्ताकार परिधि राज्य के विकास की निरंतरता को दर्शाती है।
- इस चिन्ह के बाहरी वृत्त में छत्तीसगढ़ के 36 किले वृत्त पर बाहर की ओर दर्शाती है, इन किलों को हरे रंग दिया गया है मतलब हरा रंग राज्य की समृद्धि, वन सम्पदा और नैसर्गिक सुंदरता को प्रतिबिम्ब करता है।
- इस वृत्त के भीतर धान की बालियां है जो स्वर्णिम आभा लिये हुए है, जो यहां की कृषि पध्दति को दर्शाती है।
- विद्युत संकेत ऊर्जा क्षेत्र में सक्षमता व संभावनाओं को दर्शाती है।
- निचे से ऊपर की ओर तीन लहराती रेखायें राज्य के समृद्ध जल संसाधन एवं नदियों को दर्शाती है।
- तिरंगे के तीन रंग छत्तीसगढ़ की राष्ट्र के प्रति एकजुटता तथा मध्य में राष्ट्रीय सारनाथ के चार सिंह और उसके निचे सत्यमेव जयते राष्ट्र के प्रति सत्यनिष्ठा के प्रतिक को दर्शाता है।
छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष
- साल /सरई छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय वृक्ष है।
- इसका वैज्ञानिक नाम Shorea Robusta है।
- साल का वृक्ष बस्तर जिला में सर्वाधिक संख्या में पाया जाता है। इस कारण से बस्तर को साल वनों का द्वीप भी कहा जाता है।
- साल का वृक्ष लगभग पाँचसौ साल तक जीवित रह सकता है।
- साल के वृक्ष को बस्तर में देवता का दर्जा दिया गया है।
- साल वृक्षों की ऊंचाई 12 से 30 मीटर एवं चौड़ाई 15 से 20 फिट तक होती है।
- साल एक वृंदवृत्ति एवं अर्द्धपर्णपाती वृक्ष होती है। इनकी लकड़ी इमरती कामों में प्रयोग की जाती है।
- साल की लकड़ी भूरे रंग की कठोर भारी और मजबूत होती है।
- रेल्वे लाइन में भी साल के लकड़ियों का उपयोग किया जाता है।
- साल के वृक्ष 9 सेंटीमीटर से लेकर 508 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले स्थानों से लेकर अत्यंत उष्ण तथा ठंडे स्थानों तक में आसानी से उग सकता है।
- साल के वृक्षों से निकलने वाला रेजिन अम्लीय होता है और यह सुगन्धित धूप तथा औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी
राज्य शासन ने जुलाई 2001 को बस्तरिया पहाड़ी मैना को राजकीय पक्षी के रूप में चुना। प्राणी शास्त्र में चार पप्रकार की पहाड़ी मैनाओं का विवरण मिलता है, जो क्रमशः उत्तरी ग्रेकुला रिलिजियोसा, दक्षिणी ग्रेकुला इंटरमीजिया, पूर्वी ग्रेट पेनिन्सुलेरिस एवं अंडमान हिल ग्रेटी अंदमानेंसिस है। इसमें तीसरे नंबर का ग्रेट पेनिन्सुलेरिस बस्तर का पहाड़ी मैना है. वर्त्तमान में इनका मुख्य विचरण क्षेत्र दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, जगदलपुर, कांगेर घाटी, गुप्तेश्वर, तिरिया, कूंचा आदि वनों में पाया जाता है. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहाड़ी मैना को संरक्षित किया जा रहा है क्योंकि इसका अस्तित्व खतरे में हैं।
- राज्य का राजकीय पक्षी बस्तर की पहाड़ी मैना है।
- पहाड़ी मैना इसका वैज्ञानिक नाम है – ग्रेटी पेनिन्सुलेरिस
- इसका आकर 28 -30 सेंटीमीटर के बीच होता है और वजन 200 ग्राम से लेकर 250 ग्राम तक होता है।
- पहाड़ी मैना की चोंच और पैर नारंगी पीले रंग के होते है, और पूरा शरीर चमकीला काले रंग का होता है ।
- पहाड़ी मैना एक बार में 2 से 3 अंडे देती है, इन अंडो को 14 से 20 दिन तक सेआ जाता है यह कार्य नर और मादा दोनों मिलकर पूरा करते है।
- पहाड़ी मैना सदाबहार जंगलों तथा नम पतझड़ वाले वनों मे पाई जाती है।
- पहाड़ी मैना का मुख्य भोजन कीड़े मकोड़े एवं फूलों का रस।
- दिखने में सुन्दर पहाड़ी मैना मनुष्य की आवाज और भाषा की सटीक नक़ल करने की विशेष प्रतिभा होती है।
छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु
राज्य का राजकीय पशु वनभैसा/जंगली भैसा है। छत्तीसगढ़ में पाये जाने वाली भैंसे की नस्ल सर्वाधिक शुद्ध है।
- इसका वैज्ञानिक नाम – बूबालस बुबेसिल (Bubalus Bubalise)
- हिंदी भाषा में नर जंगली भैंसे को अरना और मादा वन भैंसे को अरनी कहा जाता है।
- ये मुख्यतः नेपाल की तराई की घास वनों में, असम में ब्रम्हपुत्र के मैदान में, ओडिशा के कुछ हिस्सों में एवं छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान , कुटरू वन क्षेत्र एवं उदयन्ती अभ्यारण्य में पाए जाते है।
- ये शाकाहारी होते है और घास ही इनका प्रमुख आहार होता है।
- यह औसतन पांच फिट तक का लम्बा और 900 किलोग्राम वजन का प्राणी होता है।
- इसके सींग अधिकतम 197.6 सेंटीमीटर लंबे तक दर्ज किये गए हैं।
- सम्पूर्ण शरीर काला होता है, किन्तु जन्म के समय यह लगभग पीला होता है।
छत्तीसगढ़ की राजकीय भाषा
छग का राजकीय भाषा – छत्तीसगढ़ी
- छत्तीसगढी को राज्य भाषा का दर्जा 28 नवम्बर 2007 मिल गया।
- विधेयक पारित होने के उपलक्ष्य में 28 नवम्बर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- छत्तीसगढ़ी भाषा की लिपि देवनागरी है।
- यह पूर्वी हिन्दी की प्रमुख बोली है और छत्तीसगढ़ राज्य की प्रमुख भाषा है।
- छत्तीसगढ़ी भाषा प्राचीन काल में कोसली कहा जाता था।
- छत्तीसगढ़ भाषा का सबसे प्राचीनतम आलेख दंतेवाड़ा में एक शिलालेख पर उकेरा गया है।
- छत्तीसगढ़ी के लुप्त होते शब्दों को संगृहीत करने हेतु बिजहा कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।
- छत्तीसगढ़ी एवं छत्तीसगढ़ी में लिखे साहित्य के एकत्रीकरण के लिए माई कोठी योजना बनाई गई है.
छत्तीसगढ़ का राजकीय फल
छत्तीसगढ़ का राजकीय फल कटहल है
- कटहल एक मात्र ऐसा फल है जो पेड़ो की जड़ से लेकर शाखाओं तक लगते हैं।
- कटहल काँटेदार वजनिय फल होता है।
- कटहल कच्चा हो तो सब्जियां बना सकते हैं और पकी हो तो भी कहा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ का राजकीय व्यंजन
छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय मिठाई पपची है।
- गेंहू के आटे में थोड़ा चावल का आटा मिलाकर, मोयन डालकर, पानी से गूंधकर, मोटे चौकोर आकार में तेल मे तलकर, गुड़ की चाशनी में डुबाकर यह कुरकुरा मिठाई बनता है।
- ये बालूशाही को भी मात कर सकती है।
- मीठी पपची, मंद आंच (धीमी आंच) में सेके जाने से कुरमुरी और स्वादिष्ट बन जाती है।
छत्तीसगढ़ का राजकीय पुष्प
छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक चिन्ह
छत्तीसगढ़ राज्य के प्रशासन ने गेंदा फूल को छत्तीसगढ़ राज्य का राज्य पुष्प घोषित किया गया है।
- इसका वैज्ञानिक नाम (Rhynchostylis Gigantea) है.
- गेंदा फूल का अंग्रेजी नाम Marigold है।
छत्तीसगढ़ का राजकीय गीत / Chhattisgarh ka Rajkiya Geet
छत्तीसगढ़ राजकीय गीत के रूप ”अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार” को घोषित किया गया है।
- इसकी घोषणा 3 नवंबर 2019 को की गई थी, अधिकृत अधिसूचना 18 नवंबर 2019 को जारी की गई ।
- इस गीत के रचियता डॉ. नरेंद्र वर्मा हैं।
- इस गीत में चार नदियों का वर्णन है अरपा, पैरी, महानदी, इंद्रावती
- सात जिलों का उल्लेख है सरगुजा, रायगढ़, बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगाव, दुर्ग एवं बस्तर।
अरपा पैरी गीत
अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार
इँदिरावती हा पखारय तोर पईयां
महूं पांवे परंव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
सोहय बिंदिया सहीं, घाट डोंगरी पहार
चंदा सुरूज बनय तोर नैना
सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग
तोर बोली हावय सुग्घर मैना
अंचरा तोर डोलावय पुरवईया
महूं पांवे परंव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
रयगढ़ हावय सुग्घर, तोरे मउरे मुकुट
सरगुजा अउ बिलासपुर हे बइहां
रयपुर कनिहा सही घाते सुग्घर फबय
दुरूग बस्तर सोहय पैजनियाँ
नांदगांव नवा करधनिया
महूं पांवे परंव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
छत्तीसगढ़ का राजकीय प्रतीक वाक्य
छत्तीसगढ़ का प्रतिक वाक्य पहले विश्वसनीय छत्तीसगढ़ था. नविन सरकार ने 5 जून 2019 को गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ को राज्य का प्रतीक वाक्य बनाया।
इसे भी पढ़े- छत्तीसगढ़ का इतिहास – प्रागैतिहासिक काल
Frequently Asked Questions (FAQ)
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ का राजकीय गीत कौन सा है?
उत्तर :- छत्तीसगढ़ राजकीय गीत के रूप ”अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार” को घोषित किया गया है।
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ का राजकीय फल क्या है?
उत्तर :- कटहल ।
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ का राजकीय खेल क्या है?
उत्तर :- छत्तीसगढ़ का राजकीय खेल अभी तक घोषित नहीं हुआ है।
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ का राजकीय मिठाई कौन सा है?
उत्तर :- छत्तीसगढ़ का राजकीय मिठाई “पपची “ को माना जाता है।
प्रश्न :-छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय फूल क्या है?
उत्तर :-छत्तीसगढ़ के राजकीय फूल गेंदा है।
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ का प्रतीक वाक्य क्या है?
उत्तर :- गड़बो नवा छत्तीसगढ़ है।
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय वृक्ष कौन सा है?
उत्तर :-साल छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष है.
प्रश्न :- छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत के रचयिता कौन है?
उत्तर :- स्व डॉ नरेंद्र देव वर्मा
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