आज हम विषय है Chhattisgarh Ke Lok Kalakar Ka Jivan Parichay इस विषय में हम छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों के बारे संक्षिप्त में जानकारी प्राप्त करेंगे, प्रतियोगी परीक्षाओं में लोक कलाकार से भी सवाल पूछे जाते है, तो ये महत्वपूर्ण है की आप इस पूरी जानकारी को पढ़िये और अपने नोट्स बना लीजिये।
छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार एवं जीवन परिचय
गोविंद राम निर्मलकर
- इनका जन्म राजनांदगांव में 1935 में हुआ।
- पद्म श्री से सम्मानित गोविंद राम निर्मलकर नाचा व रंगकर्म के प्रमुख कलाकार हैं।
- 1960 में हबीब तनवीर के नया थियेटर से जुड़े।
- उन्होंने चरण दास चोर, आगरा बाजार, मिट्टी की गाड़ी, पोंगा पंडित, बहादुर कलारिन जैसे नाटकों में अहम भूमिका निभाई।
- हबीब तनवीर के साथ उसने, एडीनबरा लंदन में अपने कार्यक्रम का प्रस्तुतीकरण किया।
- 2008 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
- इनकी मृत्यु 27 जुलाई 2014 को रायपुर में हुई।
पूनाराम निषाद
- जन्म 16 नवंबर 1939 ।
- झाडूराम देवांगन के शिष्य के रूप में पंडवानी गायन की वेदमती शैली को आगे बढ़ाने और देश-विदेश में पहचान दिलाने वाले बुजुर्ग कलाकार पूनाराम निषाद दुर्ग जिले के रिंगनी में रहते हुए पिछले करीब चालीस वर्षों से इस कला की सेवा कर रहे थे ।
- उन्हें पंडवानी कला की सुदीर्घ साधना के लिए सन् 2005 में पद्म श्री सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।
- उनका निधन 11 नवंबर 2017 को हुआ।
झाडूराम देवांगन
- इन्हें पंडवानी का पितामह कहा जाता है।
- जन्म 1927 भिलाई के समीप बासिन गाँव में बचपन से गाँव में माता सेवा, जंवारा, फाग आदि में वे हिस्सा लेते रहे।
- 12 वर्ष की उम्र से पंडवानी गायन आरम्भ।
- 9 वर्ष की उम्र में ही माता-पिता की मृत्यु, कुछ समय कपड़ा बुनाई सीखा, सब्बल सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी महाभारत को पढ़कर मनन करना।
- 1974-75 में दिल्ली के ‘अशोका हॉटल’ में 7 दिन तक पंडवानी गायन किया।
- 1981-82 में लंदन, इटली, फ्रांस, जर्मनी आदि में कार्यक्रम ।
- प्रधानमंत्री निवास में श्रीमती गांधी के समक्ष पंडवानी प्रस्तुत किया।
- उनके पुत्र कुंज बिहारी इनके साथ ‘बेजों’ में संगत करते थे ।
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दाऊ महासिंह चंद्राकर
- जन्म- 1917 आमदी, दुर्ग ।
- छत्तीसगढ़ी के ठेठ रूप को मंच में प्रस्तुत किया।
- छत्तीसगढ़ी लोककला की प्रत्येक विधा को मंच, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में प्रस्तुत किया।
- ‘सोनहा बिहान’ से लेकर ‘लोरिक चंदा’ की प्रस्तुति तक का लम्बा रास्ता तय किया।
- डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के हिन्दी उपन्यास ‘सुबह की तलाश’ का छत्तीसगढ़ी रूपान्तरण ‘सोनहा बिहान’ की स्थापना की।
- इसके बाद लोक गाथा, ‘लोरिक चंदा’ को खड़े साज शैली में प्रस्तुत किया।
दुलार सिंह मंदराजी
- इन्हें नाचा का भीष्म पितामह कहा जाता है।
- दाऊ मंदराजी का असल नाम दाऊ दुलार सिंह था।
- जन्म 1 अप्रैल, 1910, ग्राम रखेली (बाघ नदी) में मालगुजार के यहाँ, मृत्यु-24 सितम्बर, 1984।
- रवेली साज के रूप में विख्यात, रवेली साज का प्रदर्शन सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में तथा टाटा नगर तक हुआ।
- 1984 में दुलारसिंग को भिलाई संयंत्र के लोक कला महोत्सव में सम्मानित किया गया, सम्मान के कुछ दिन बाद इनकी मृत्यु हो गई ।
दाऊ रामचंद्र देशमुख
- जन्म-बघेरा ग्राम (दुर्ग), मृत्यु-14 जनवरी, 1998 ।
- चंदैनी गोंदा के संस्थापक
- छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति के संरक्षण और विकास हेतु सकारात्मक कार्य किये ।
- 1951 में ‘देहाती कला मंच’ की स्थापना की, इसके अन्तर्गत काली माटी, बंगाल का अकाल, सरग अउ नरक, राय साहब मि., भोंदू खान साहब नालायक अली खाँ, मिस मेरी का डांस जैसे दमदार एवं प्रभावशाली प्रहसन प्रदर्शित किया।
- इसके माध्यम से सांस्कृतिक जागरण का कार्य कर नए कलाकारों को ढूंढकर उन्हें प्रोत्साहित किया और मंच प्रदान किया।
- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कहानी ‘कारी’ को 1983 में अभिनित किया गया, जिसने कुछ ज्यादा ही ख्याति अर्जित की।
तीजन बाई
- 8 अगस्त 1956 में पाटन (दुर्ग) में हुआ था।
- वेदमती शैली की ख्यातिलब्ध पंडवानी गायिका, छत्तीसगढ़ की लोक कला पंडवानी को अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने का श्रेय जाता है ।
- इन्हे भारत सरकार द्वारा 1988 पद्म श्री, 1995 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2003 माननीय. डी.लिट., बिलासपुर विश्वविद्यालय, 2003 पद्म भूषण, 2016 एमएस सुब्बलक्ष्मी शताब्दी पुरस्कार, 2018 फुकुओका पुरस्कार , 2019 पद्म विभूषण पुरस्कार प्राप्त।
- 1973 से पंडवानी गायन आरम्भ, विदेश में भारत महोत्सव में प्रतिनिधित्व अब तक भारत के बड़े शहरों के साथ विश्व के अनेक देशों में कार्यक्रम की प्रस्तुति।
सुरुज बाई खांडे
- इनका जन्म 12 जून 1949 एवं इनकी मृत्यु- 10 मार्च, 2018 .
- भरथरी में प्रथम पंक्ति की गायिका, साथ ही छत्तीसगढ़ी चदैनी और ढोलामारू की गायकी की छाप देश-विदेश में प्रसारित।
- रेडियो, दूरदर्शन में प्रस्तुति। सोवियत रूस में आयोजित भारत महोत्सव में शिरकत, आदिवासी कला परिषद्, दिल्ली के समारोह में प्रदर्शन ।
- हबीब तनवीर के साथ अनेक कार्यक्रम किए।
- सुरुज बाई अहिल्या बाई सम्मान से सम्मानित थीं।
केदार यादव
- जन्म-1951 में, मृत्यु-18 जनवरी, 1996.
- सत्तर अस्सी के दशक में ‘सोनहा बिहान कार्यक्रम’ में अपनी गायकी से धूम मचा दी थी।
- छत्तीसगढ़ के पारम्परिक लोकधुन में संगीतबद्ध कर गायन की मूल शैली उनके गीतों में थी।
- ‘होगे नवा बिहान, जागौ – जागौ रे मोर भइया, का तै मोला मोहनी डार दिए गोंदाफूल, हमरो पुछइया भइया कोनो नइये गा, मोर झूलतरी गेंदा इंजन गाड़ी, तें बिलासपुरहीन अस, छूटगे दाई ददा के अंगना, तोर नैना के लागे हे कटार आदि खूब चले ।
- इनके गाए गीत का कैसेट ‘रंगमतिहा’ भी निकला था।
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देवदास बंजारे
- जन्म 1 जनवरी, 1947 धमतरी के निकट सांकरा ग्राम में ।
- छत्तीसगढ़ी पंथीलोकनृत्य को देश-विदेश में स्थापित किया; 1970 से पंथी नृत्य से जुड़े हुए।
- 1974 में हबीब तनवीर के ‘नया थियेटर’ में चयन।
- एडिनबर्ग, कनाडा, हेम्बर्ग, रोम, पेरिस, लंदन, आस्ट्रेलिया में पंथी कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
- 1971 में प्रथम बार दिल्ली में कार्यक्रम प्रस्तुत, श्याम बेनेगल निर्देशित टेली फिल्म ‘ चरणदास चोर’ में भी भागीदारी।
- अपने जीवन का आदर्श वे गुरु घासीदास को मानते थे।
प्रेम चंद्राकर
- जन्म-1960, पाटन (दुर्ग) के समीप गुड़िहारी गाँव में.
- छत्तीसगढ़ी टेली प्ले और दूरदर्शन में छत्तीसगढ़ी प्रस्तुति डांड, ठग्गू, मोर गंवई गंगा का निर्देशन किया।
- निर्देशक प्रेम साइमन का लिखा नाटक, ‘चिन्हा’ और धारावाहिक ‘मयारू चंदा’ में भी निर्देशन का कार्य ।
- ये स्वयं वीडियो कैमरा मैन भी हैं।
- प्रसिद्ध गायिका ममता चंद्राकर के पति है ।
- वर्ष 2000 में ‘मोर छुइँहा भुइहा’ फिल्म निर्माण के साथ वर्तमान में छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी सक्रीय हैं ।
कविता वासनिक
- जन्म-18 जुलाई, 1962 राजनांदगाँव में।
- शिक्षा- बैचलर ऑफ साईन्स (बॉयलाजी) डिप्लोमा – लोक संगीत (इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ छत्तीसगढ़)
- बचपन से गायन, विभिन्न कार्यक्रमों में गायन, अभिनय, छत्तीसगढ़ी गीतों के सात रिकॉर्डस् (कैसेट) बन चुके हैं।
- नाट्य संस्थाओं चंदैनी गोंदा, सोनहा बिहान, कारी आदि से सक्रिय रूप से सम्बद्ध, समय-समय पर विभिन्न सांस्कृतिक मंचो द्वारा सम्मानित ।
ऋतु वर्मा
- जन्म-1977 रूआबांधा, भिलाई में, सात वर्ष की उम्र से पंडवानी गायन आरम्भ किया।
- अंचल की ख्यातलब्ध पंडवानी गायिका, कम उम्र के पंडवानी गायकों में प्रथम स्थान।
- देश-विदेश में कला प्रदर्शन, जापान, जर्मनी, इंगलैण्ड, फ्रांस आदि देशों में प्रदर्शन।
शेख हुसैन
- जन्म-1948, रायपुर, में , ये छत्तीसगढ़ी गीत के मशहूर गायक ।
- आकाशवाणी रायपुर से इनके गीतों का प्रसारण लम्बे समय तक होता रहा।
- इनके गाए गीतों में, ‘चना के दार राजा, चना के दार रानी’, ‘एक पैसा के भाजी ल दू पइसा म बेचे’, भजिया खाले’ आदि प्रमुख हैं।
- रूपनारायण वर्मा के हिन्दी गीत भी गाए हैं।
भैय्यालाल हेड़ाऊ
- जन्म 1993, राजनांदगाँव में; गायन अभिनय और उद्घोषणा कला में पारंगत थे।
- 1950 से स्कूली जीवन से अभिनय करते थे जिसमे प्रमुख है – आरम्भ-जीत के हार, खलनायक, चाणक्य आदि।
- शारदा संगीत आक्रेस्ट्रा में गायन ।
- 1971 में चंदैनी गोंदा से जुड़े, सोनहा बिहान, नया बिहान, अनुराग धारा आदि नाट्य संस्थाओं में कला का प्रदर्शन किया ।
- छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, भोपाल में कार्यक्रम।
- 1981 में सत्यजीत रे की टेली फिल्म ‘सद्गति’ में अभिनय किया।
- आकाशवाणी और दूरदर्शन में अनेक नाटक खेले; उद्यांचल, सुर सिंगार, लोक कला महोत्सव भिलाई, चक्रधर कत्थक कल्याण केन्द्र आदि से पुरस्कार प्राप्त किये ।
पी. आर. उरांव
- जन्म 6 जनवरी, 1943 को रायगढ़ में, शिक्षा अर्थशास्त्र में एम.ए.।
- 1974 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के द्वारा नायब तहसीलदार बने।
- लोककला की यात्रा, प्रशासनिक कामकाज के साथ-साथ, जहाँ भी पदस्थ होते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ी लोककला मंच का गठन अवश्य करते थे ।
- रायपुर में 15 कलाकारों की टीम लेकर ‘रायपुर लोककला मंच’ की स्थापना की ।
- ‘गुरतुर’ नाम से इनके 110 छत्तीसगढ़ी गीतों का संग्रह प्रकाशित हुआ है।
- ये अपनी गीतों का प्रदर्शन मंच में करते थे ।
बरसाती भैय्या
- जन्म-1926, राजनांदगाँव में.
- मूलनाम केसरी प्रसार बाजपेई; उद्घोषक और आलेखक बरसाती भैय्या ने छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों को आगे लाने का कार्य किया।
- गुड़ी के गोठ, फलेहरा अउ लहरियाँ आदि आकाशवाणी कार्यक्रमों के माध्यम से सांस्कृतिक जागरण का कार्य किया।
- 1950 से आकाशवाणी नागपुर, 1959 से आकाशवाणी भोपाल एवं 1964 से आकाशवाणी रायपुर में छत्तीसगढ़ी प्रसारण का मुख्य दायित्व लिया।
- 1962 में इनकी लोककथा पुरस्कृत हुई.
- सत्यजीत रे के निर्देशन में बनी टेली फिल्म प्रेमचंद की कहानी सद्गति पर काम किया।
- टेली फिल्म ‘पुन्नी के चंदा’, ‘मां बम्लेश्वरी’ और ‘पिंजरा के मैना में अभिनय किया।
ममता चंद्राकार
- जन्म-1960, लोक कलाकार दाऊ महासिंह चंद्राकार की पुत्री, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से शास्त्रीय संगीत में स्नातकोत्तर ।
- दूरदर्शन, रेडियो में गायन, कई ऑडियो कैसेट निकल चुके हैं।
- छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की शीर्षस्थ गायिका ।
- सोनहा बिहान में काम किया। 12 वर्ष की उम्र से गायन प्रारम्भ ।
खुमान साव
- जन्म 5 नवंबर 1930 को, खुरसीटिकुल।
- जिला-राजनांदगांव में। शिक्षा – बी. ए.।
- आरंभ में रवेली साज में हारमोनियम वादक थे।
- रवेली साज छोड़कर शारदा संगीत आक्रेस्ट्रा राजनांदगांव से जुड़ गए।
- 1970 में दाऊ रामचंद्र के चंदैनी गींदा से जुड़े।
- छत्तीसगढ़ी गीतकारों विप्र, पवन दीवान, रविशंकर शुक्ल, कोदूराम दलित आदि के गीतों को संगीतबद्ध किया।
- लक्ष्मण मस्तुरिया के सभी गीतों को संगीतबद्ध किया।
- खुमान साव चंदैनी गोंदा के निर्देशक एवं प्रमुख कलाकार छत्तीसगढ़ी टेली फिल्म पुन्नी के चंदा, पिंजरा के मैना में संगीत दिया।
- मृत्यु 9 जून 2019 को राजनांदगांव में ।
रवान यादव
- जन्म 5 नवम्बर, 1930; खुरसीटिकुल में , शिक्षा बी.ए.,
- आरम्भ रवेली साज में हारमोनियम वादक रहे फिर, रवेली साज छोड़कर शारदा संगीत आक्रेस्ट्रा राजनांदगाँव से जुड़ गए।
- 1970 में दाऊ रामचंद्र के चंदैनी गोंदा से जुड़े, छत्तीसगढ़ी गीतकारों विप्र, पवन दीवान, रविशंकर शुक्ल, कोदूराम दलित आदि के गीतों को संगीतबद्ध किया।
- लक्ष्मण मस्तुरिया के सभी गीतों को संगीतबद्ध किया, मोर संग चलव रे, चिटिक अंजोरी निरमल छइंहा, छन्नर-छन्नर पैरी बाजे आदि लोकप्रिय गीतों का संगीत दिया।
- संगीत में ये दफड़ा, मोहरी, टिमकी आदि का बखूबी प्रयोग करते थे।
- खुमान साव चंदैनी गोंदा के प्रमुख कलाकार थे; लोकगीत जैसे गौरी गीत, सुआ गीत, बिहाव गीत आदि को संगीतबद्ध किया।
- छत्तीसगढ़ी टेली फिल्म पुन्नी के चंदा, पिंजरा के मैना में संगीत दिया।
फिदाबाई मरकाम
- जन्म 1944 में बधिया टोला (डोंगरगढ़ के समीप).
- छत्तीसगढ़ी रंगमंच और नाचा की प्रथम पंक्ति की कलाकार।
- दाऊ मंदराजी के रवेली साज में नाचा आरम्भ, बाद में नाचा से रंगमंच में आयी.
- रंगमंच में इन्होने ‘नया थियेटर’ के ‘चरणदास रंगमंच में ‘आगरा बाजार’, ‘मोर नाम दामाद, गाँव के नाम ससुराल’, ‘बहादुर कलारिन’, ‘सूत्रधार’, ‘उत्तर
- रामचरित’, ‘मिट्टी की गाड़ी’ आदि में प्रमुख पात्र बनीं।
- इन्होंने सईद जाफरी के एक अंग्रेजी टी.वी. सीरियल में भी काम किया।
- 1988 में मध्य प्रदेश शासन का ‘तुलसी सम्मान (आदिवासी लोककला का) मिला।
- इन्होंने इंग्लैंड , फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, सोवियत रूस, डेनमार्क, यूगोस्लाविया, स्काटलैण्ड आदि जगहों में कार्यक्रम किये ।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख नाचा पार्टी या नाचा से संबंधित संस्थापक एवं संस्था
संस्थापक | संस्था |
दुलार सिंह मंदाराजी | रवेली नाचा पार्टी 1928 |
रामचंद्र देशमुख | छत्तीसगढ़ देहाती कला मंच 1951 |
पद्म भूषण हबीब तनवीर | हिन्दुस्तान थियेटर 1954 नया थियेटर दिल्ली 1959 |
रामचंद्र देशमुख | चंदैनी गोंदा नाचा पार्टी 1971 |
नाइकदास एवं झुमुकदास | मटेवा नाचा पार्टी |
दाऊ महासिंह चंद्राकर | सोना बिहान |
ममता चंद्राकर | चिन्हारी नाचा पार्टी |
ठाकुर राम | सिंगनी नाचा पार्टी |
पी. आर. उरांव | रायपुर लोक कला मंच |
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Jai Hind!