Chhattisgarh Ka Sahitya | छत्तीसगढ़ का साहित्य का विकास व कालक्रम

आज का विषय है Chhattisgarh Ka Sahitya छत्तीसगढ़ साहित्य के विषय में इसकी विकास को प्राचीनतम रुपरेखा का कोई लिखित प्रमाण नहीं है। परन्तु फिर भी इसकी प्राचीनता अवधि साहित्य के सामान ही मानी जाती है। छत्तीसगढ़ के साहित्य को 3 भागों में बाटा गया है। विषय को समझने के लिए पॉइंट वाइस जानकारी प्रदान की गई है जिससे आपको नोट्स बनाना हो तो आसानी हो।

  1. प्राचीनकाल या गाथा युग (1000 ई. से 1500 ई.)
  2. मध्यकाल या भक्ति युग (1500 ई. से 1900 ई.)
  3. आधुनिक काल ( 1900 ई. से प्रारंभ )

प्राचीनकाल या गाथा युग (1000 ई. से 1500 ई.)

  • इस काल में कल्चुरियों ने छत्तीसगढ़ में साहित्य विकास में योगदान दिया।
  • इस काल में छत्तीसगढ़ी साहित्य में प्रेम, धार्मिक व वीरगाथाओं का प्रचलन था।
  • इस काल में लिखी गई गाथाएँ मूलतः प्रबन्ध शैली में चारण काव्य परम्परा की हैं।
  • इस काल की गाथाओं में तन्त्र-मन्त्र तथा पारलौकिक शक्तियों का चित्रण किया गया था।
  • प्राचीनकाल के प्रमुख कवि दलपत राव थे।
  • प्राचीनकाल के अन्य कवि लक्ष्मीनिधि कर्णराय पर कवि दलपत राव की प्रशस्ति, छत्तीसगढ़ी व छत्तीसगढ़ बोली पर प्रकाश डालने वाली पहली कविता मानी जाती है।
  • इस काल के अन्य कवि दलवीर राव, मानिक राव, सुन्दर राव, हरिनाथ राव, धनसिंह राव, बिसाहू राव तथा कमल राव थे।
  • इस काल की अधिकतर गाथा मौखिक रूप में आगे हस्तांतरित होती रही है, जिनको आधुनिक काल में लिपिबद्ध किया जा सका।

प्राचीनकाल की प्रेम गाथाएँ।

  • प्रेम गाथाएँ – इनमें अहिमन रानी, रेखा रानी व केवला रानी प्रचलित है। ये गाथाएँ अपने बदलते स्वरूप के साथ वर्तमान में भी प्रचलित हैं।
  • धार्मिक गाथाएँ – इनमें फूलबासन व पण्डवानी की गाथाएं प्रचलित है। फूलबासन सीता व लक्ष्मण की कथा है तथा पण्डवानी में द्रोपदी के प्रसंग में तीजा की छत्तीसगढ़ परम्पराओं का विवरण शामिल है।
  • वीरगाथा – इसमें लक्ष्मीनिधि कर्णराय की गाथा प्रमुख है। यह खैरगढ़ के राजा से सम्बन्धित है। खैरगढ़ के चारण कवियों से छत्तीसगढ़ के प्रारम्भिक काव्य रचना की जानकारी मिलती है।

Chhattisgarh Ka Sahitya

madyakal  ya bhakti yug

मध्यकाल या भक्ति युग (1500 ई. से 1900 ई.)

  • मध्य काल के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ पर मुस्लिम आक्रमण हुआ।
  • छत्तीसगढ़ में कुछ समय के लिए मुगल शासकों का शासन रहा था।
  • इनके पतन के बाद राज्य में कुछ समय के लिए मराठाओं का भी शासन रहा था।
  • छत्तीसगढ़ साहित्य के इस काल में मुख्य रूप से भक्ति आन्दोलन प्रारम्भ हुआ।
  • छत्तीसगढ़ में भक्ति आन्दोलन का प्रारम्भ कबीरपन्थ के विस्तार से हुआ।
  • मध्यकाल में छत्तीसगढ़ के लोगों पर उत्तर भारत के भक्ति आन्दोलन का व्यापक प्रभाव पड़ा।
  • राज्य में कबीरपन्थ का प्रसार प्रमुख कवि धर्मदास से प्रारम्भ हुआ।
  • इस काल में भक्ति आन्दोलनों के साथ-साथ राज्य में वीर गाथाएँ भी प्रचलित थीं।

मध्य काल की प्रमुख वीर गाथाएँ

  • फूलकुँवर – इस गाथा में फूलकुंवर के विषय में बताया गया है। यह राजा जगत की पुत्री थी। यह अत्यन्त पराक्रमी महिला थी। इस गाथा में फूलकुंवर के मुसलमानों से हुए युद्ध का चित्रण किया गया है।
  • कल्याण साय की गाथा – इसमें कल्याण साय के विषय में चर्चा की गई है। कल्याण साय छत्तीसगढ़ के रतनपुर की कल्चुरि शाखा का राजा था। यह कल्चुरि शासक बाहरेन्द्र का पुत्र था। कल्याण साय मुगल शासक जहाँगीर के समकालीन था। कल्याण साय की गाथा में कल्याण साय के साथ-साथ वीरभट गोपाल राय का भी वर्णन किया गया है।
  • देवी गाथा – इसमें मुगल शासक अकबर की उदारता और हिन्दु-मुस्लिमों में एकता स्थापित करने के प्रयासों का वर्णन किया गया है। साथ ही अकबर का देवी भक्त के रूप में चित्रण किया गया है। इस काल की प्रमुख लघु कथाएँ गोपल्ला गीत व ढोलामारू थीं।

मध्य काल के प्रमुख धार्मिक पन्थ

  • धार्मिक गीतों की रचना में कबीरपन्थ का योगदान महत्त्वपूर्ण है।
  • मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन के अन्तर्गत राज्य में धार्मिक गीतों का भी प्रसार हुआ।
  • राज्य में निर्गुण पन्थ की दो शाखाओं कबीर व सतनाम से धार्मिक एवं सामाजिक गीतों की रचना की गई।
  • सर्वप्रथम कबीरपन्थ के साहित्य ही लिखित रूप में प्राप्त हुए हैं।
  • राज्य में कबीरपन्थ के संस्थापक सन्त धरमदास थे।

मध्य काल के प्रमुख धार्मिक पन्थ व उनके सस्थांपक

  • सन्त धमरदास (कबीरपन्थ) – इन्होंने 17वीं शताब्दी में कवर्धा से कबीर पन्थ का शुभारम्भ किया। ये छत्तीसगढ़ के प्रथम निर्गुण सन्त कवि थे।
  • घासीदास (सतनाम पन्थ) – ये सतनाम पन्थ के संस्थापक थे। इनके काव्य के पद का उदाहरण इस प्रकार है।
Chhattisgarh Ka Sahitya -adhunik kal

आधुनिक काल (1900 ई. से प्रारम्भ )

  • इस काल में खण्डकाव्य, महाकाव्य, उपन्यास, नाटक, कहानी आदि साहित्य की रचना हुई।
  • छत्तीसगढ़ कवियों में आधुनिक काल में युगीन काव्यधारा के अनुरूपराष्ट्रीय भावना की अभिव्यक्ति हुई।
  • आधुनिक काल के प्रारम्भिक छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों में पं. सुन्दरलाल शर्मा, लोचन प्रसाद पाण्डे, शुकलाल पाण्डे व नरसिंह दास वैष्णव प्रमुख थे।
  • आधुनिक काल के प्रारम्भिक साहित्य में वर्ष 1904 में नरसिंह दास वैष्णव द्वारा रचित शिवायन व वर्ष 1912 में पं. सुन्दरलाल शर्मा द्वारा
  • रचित दानलीला प्रमुख है।
  • वर्ष 1918 में शुकलाल पाण्डे द्वारा रचित भूल-भूलैया शेक्सपीयर के नाटक कॉमेडी ऑफ एरर्स का छत्तीसगढ़ भाषा में पद्य अनुवाद
  • प्रकाशित हुआ।
  • इसी समय लोचन प्रसाद पाण्डे का भुतहा मण्डल, गोविन्दराम बिट्ठल की नागलीला तथा मुकुटधर पाण्डे द्वारा मेघदूत का छत्तीसगढ़ी अनुवाद
  • प्रकाशित हुआ।
  • बाबू प्यारेलाल छत्तीसगढ़ के प्रमुख इतिहासविद् व कवि थे। इन्होंने प्राचीन छत्तीसगढ़ ग्रन्थ की रचना की थी।
  • आधुनिक काल में छत्तीसगढ़ी गीतों को प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय बनाने का श्रेय लक्ष्मण मस्तूरिया को जाता है।
  • रामेश्वर वैष्णव हास्य व्यंग्य काव्य विधा के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • वर्तमान में छत्तीसगढ़ी साहित्य के विकास में दानेश्वर शर्मा, विद्याभूषण मिश्र, पवन दीवान, मुकुन्द कौशल, उधोराम झखमार, मेहतर राम साहू, मुरली चन्द्राकार, बाबूलाल सीरिया आदि का प्रमुख योगदान है।

छत्तीसगढ़ साहित्य के प्रमुख तथ्य

हीरालाल काव्योपाध्याय पाणिनि व्याकरणाचार्य
लोचन प्रसाद पाण्डेय प्रथम नाट्यकार
मुकुटधर पाण्डेय छायावाद के प्रवर्तक
बंशीधर पाण्डेय प्रथम कहानीकार
पंडित सुंदरलाल शर्मा
छत्तीसगढ़ काव्य के भारतेन्दु
प्रबंध काव्य के जनक
निरुपा शर्मा प्रथम महिला हिन्दी साहित्यकार
प्रथम कवित्री
शुकलाल पाण्डेय प्रथम हास्य कवि
जगन्नाथ प्रसाद प्रथम छंदशास्त्री
शरद कोठारी व्यंग्य लेखन प्रारम्भ
कपिलनाथ कश्यप प्रथम महाकाव्यकार
केयूर भूषण प्रथम निबंधकार
शिवशंकर शुक्ल प्रथम उपन्यासकार

Chhattisgarh Ka Sahitya Quiz

1 . किस बोली के भाषिक विवेचन तथा लोक साहित्य का संग्रह ग्रियर्सन व केदारनाथ ठाकुर आदि के ग्रंथो में मिलता है?

a ) भतरी

b ) हल्बी

c ) दण्डामी

d ) गोण्डी

2 . छत्तीसगढ़ी साहित्य को कालक्रम के आधार पर कितने भागों में बांटा जाता है ?

a ) दो

b ) तीन

c ) चार

d ) पांच

3 . छत्तीसगढ़ी साहित्य के मध्ययुग की अवधि का कालक्रम क्या था ?

a ) 1100 ई. से 1300 ई.

b ) 1300 ई. से 1500 ई.

c ) 1500 ई. से 1700 ई.

d ) 1500 ई. से 1900 ई.

इसे भी अवश्य पढ़ें –

4 . छत्तीसगढ़ के प्राचीन साहित्यों में किसकी प्रधानता थी ?

a ) प्रेम

b ) धार्मिकता

c ) वीरता

d ) ये सभी

5 . छत्तीसगढ़ी के मध्यकाल में साहित्यिक वीरगाथाएँ कौन सी थी ?

a ) कल्याणसाय की गाथा

b ) फूल कुंवर की गाथा

c ) गोपल्ला गीत

d ) उपरोक्त सभी

6 . निम्न में से कौन से साहित्यकार मध्यकाल से सम्बंधित है ?

a ) गोपाल मिश्र

b ) प्रह्लाद दुबे

c ) लक्ष्मण कवि

d ) ये सभी

7. किस साहित्यकार ने छत्तीसगढ़ी भाषा में रामायण की रचना की ?

a ) प. बलदेव प्रसाद मिश्र

b ) पं. सुंदरलाल शर्मा

c ) पं. कुंजबिहारी चौबे

d ) पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी

8. छत्तीसगढ़ में निम्न में से कौन सा लेखक बाल साहित्यकार के रूप में प्रसिद्ध है ?

a ) श्यामलाल चतुर्वेदी

b ) लक्ष्मण मस्तुरिया

c ) नारायण लाल परमार

d ) बच्चू जांजगीरी

9 . छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य का अध्ययन के रचनाकार कौन है ?

a ) डॉ. नरेंद्र देव वर्मा

b ) डॉ. चितरंजन

c ) डॉ. दयाशंकर शुक्ल

d ) डॉ. विनयकुमार पाठक

10 . भूलन कांदा किस साहित्यकार की रचना है ?

a ) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

b ) इंदिरा रे

c ) विनोद कुमार शुक्ल

d ) संजीव बख्शी

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आज की जानकारी एवं प्रश्नोत्तरी आपको कैसा लगा कमेंट जरूर करके बताया करे.

Jai Hind!

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