Chhattisgarh Ka Apwah Tantra | छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ और उसके अपवाह तंत्र

अपवाह मतलब जल धाराओं तथा नदियों द्वारा जल के धरातलीय प्रवाह से है। Chhattisgarh Ka Apwah Tantra वहाँ के उच्चावच एवं भूमि के ढाल पर निर्भर करता है। किसी भी अपवाह तन्त्र की नदियाँ अपने प्रवाह के साथ विभिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण तत्त्व लाकर अपने तटों पर फैला देती हैं, जो भूमि को उर्वरकता प्रदान करते हैं।

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7 FAQ

छत्तीसगढ़ के अपवाह तन्त्र को 5 भागों में विभाजित किया

Chhattisgarh Ka Apwah Tantra

  1. महानदी अपवाह तन्त्र (राज्य का सबसे बड़ा अपवाह तन्त्र)
  2. गोदावरी अपवाह तन्त्र (राज्य का दूसरा बड़ा अपवाह तन्त्र)
  3. गंगा अपवाह तन्त्र
  4. नर्मदा अपवाह तन्त्र (सबसे छोटा अपवाह तन्त्र)
  5. ब्राह्मणी अपवाह तन्त्र

1 .महानदी अपवाह तन्त्र

Chhattisgarh Ka Apwah Tantra - mahanadi
Chhattisgarh Ka Apwah Tantra – Mahanadi
  • महानदी अपवाह तन्त्र छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा अपवाह तन्त्र है, जो छत्तीसगढ़ के अपवाह तन्त्र का लगभग 56.15% (77,432 वर्ग किमी) है।
  • छत्तीसगढ़ में इस अपवाह तन्त्र का ढाल पूर्व दिशा की ओर है अर्थात् इस अपवाह तन्त्र की अधिकांश नदियाँ पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं।
  • महानदी अपवाह तन्त्र का विकास पूर्ण रूप से स्थलखण्ड के ढाल के स्वभाव के अनुसार हुआ है। महानदी अपवाह तन्त्र के मुख्य क्षेत्र- कवर्धा, धमतरी, महासमुन्द, राजनान्दगाँव, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर,जांजगीर-चाम्पा, रायगढ़ एवं जशपुर आदि हैं।
  • महानदी तंत्र की प्रमुख नदियाँ महानदी और शिवनाथ है।

महानदी

  • महानदी उद्गम स्थल – धमतरी के निकट सिहावा पर्वत
  • महानदी का नामकरण – श्रृंगी ऋषि के शिष्य महानन्दा के नाम पर
  • प्राचीन नाम – कनकनन्दिनी नीलोत्पला (सतयुग वायुपुराण में), चित्रोत्पला ( द्वापर युग स्कन्दपुराण में)
  • छत्तीसगढ़ में लम्बाई – 286 किमी.
  • कुल लम्बाई – 858 किमी
  • महानदी का विस्तार क्षेत्र – छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में
  • महानदी का प्रवाह क्षेत्र – धमतरी, कांकेर, बालोद, रायपुर, गरियाबन्द, महासमुन्द, बलौदाबाजार, जांजगीर-चाम्पा तथा रायगढ़
  • तट पर बसे प्रमुख शहर – शिवरीनारायण, सिरपुर, चन्द्रपुर एवं राजिम
  • विसर्जन (मुहाना) – ओडिशा राज्य के कटक में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • महानदी में दक्षिण दिशा से मिलने वाली सहायक नदियाँ – दूध, सोण्दूर, सिलयारी, पैरी, सूखा, जोंक और लात
  • महानदी में उत्तर दिशा से मिलने वाली सहायक नदियाँ – शिवनाथ (सबसे बड़ी सहायक नदी), हसदेव/हसदो, बोराई, माण्ड, केलो, अरपा, ईब
  • महानदी पर स्थित परियोजना –
    • रुद्री बैराज परियोजना वर्ष 1915 (धमतरी जिला)
    • गंगरेल बाँध (रविशंकर जलाशय) – वर्ष 1979 (धमतरी जिला)
    • दुधवा जलाशय-वर्ष 1963 (धमतरी जिला)
  • महानदी धमतरी से निकलकर रायपुर तथा जांजगीर-चाम्पा जिले की सीमा निर्धारित करती है। महानदी को छत्तीसगढ़ की गंगा एवं छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा भी कहा जाता है।
  • छत्तीसगढ़ का सबसे लम्बा सड़क पुल (1830 मी) दिलीप सिंह जूदेव सेतु महानदी नदी पर रायगढ़ में स्थित है। यह पुल सूरजपुर एवं नदीगाँव के मध्य बनाया गया है।
  • महानदी पर ओडिशा में कटक के समीप हीराकुड बाँध बना है, जो भारत का सबसे लम्बा बाँध है।

महानदी पर स्थित 4 संगम

  • राजिम संगम (गरियाबन्द) – इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। यह महानदी, पैरी तथा सोण्दूर नदी का संगम स्थल है।
  • शिवरीनारायण (जांजगीर-चाम्पा) – यह स्थल महानदी, शिवनाथ तथा जोंक नदी का संगम स्थल है।
  • चन्द्रपुर (जांजगीर-चाम्पा) – यह स्थल महानदी, माण्ड एवं लात नदियों का संगम स्थल है।
  • खैरागढ़ (राजनान्दगाँव) – यह स्थल आमनेर, मुस्का व पिपरिया नदियों का संगम स्थल है।

महानदी की प्रमुख सहायक नदियाँ

  • दूध नदी
    • इसका उद्गम स्थल कांकेर जिले के मलाजकुण्डम् की पहाड़ी से एवं इसका प्रवाह क्षेत्र कांकेर से है.
    • इसका विसर्जन पूर्व की ओर बहकर महानदी में मिलती है।
  • पैरी नदी
    • गरियाबन्द जिले की बिन्द्रानवागढ़ तहसील के समीप लगभग 500 मी ऊँची भातृगढ़ पहाड़ी पर इसका उद्गम स्थल है।
    • इसका विसर्जन उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बहते हुए राजिम के पास महानदी में मिलती है।
  • सोदूर नदी
    • उद्गम स्थल – ओडिशा के कोरापुट जिला के नवरंगपुर से।
    • इसका विसर्जन – मालगाँव के समीप पैरी नदी में मिलती है।
  • जोंक नदी
    • उद्गम स्थल – ओडिशा के सोनबेरा पठार से
    • इसका प्रवाह क्षेत्र – महासमुन्द तथा बलौदाबाजार और कुल लम्बाई – 90 किमी
    • विसर्जन – शिवरीनारायण के निकट महानदी में
  • सूखा नदी
    • इसका उद्गम – महासमुन्द का तुमगाँव
    • इसकी सहायक नदी है कोडार
    • विसर्जन – महानदी में

अन्य सहायक नदियाँ

  • सुरंगी नदी – यह नदी रायगढ़ के दक्षिणी भाग से निकलकर लखमोरा के पास ओंग नदी (ओडिशा) में मिलती है। ओंग नदी ओडिशा के सरादपती के पास महानदी से मिलती है।
  • बलमदेही नदी – इस नदी का उद्गम बलौदाबाजार के बारनवापारा क्षेत्र से है, जो बलौदाबाजार में ही नन्दनिया के निकट महानदी में मिलती है।
  • सिलयारी नदी – इस नदी पर धमतरी जिले में मुरुमसिल्ली या मॉडमसिल्ली जलाशय का निर्माण वर्ष 1923 में किया गया था।
  • लात नदी – इस नदी का उद्गम स्थल सराईपाली के निकट रदन की पहाड़ी है तथा यह चन्द्रपुर में महानदी में मिल जाती है।

शिवनाथ नदी

  • उद्गम स्थल – महाराष्ट्र के गोडरी गाँव (गढ़चिरौली जिला) से
  • प्राचीन नाम – शुनि नदी (मत्स्य एवं वामन पुराण में) एवं शिव नदी
  • प्रवाह क्षेत्र – राजनन्दगाँव, दुर्ग, बेमेतरा, मुंगेली, बिलासपुर, बलौदाबाजार, जांजगीर-चम्पा
  • कुल लम्बाई – 290 किमी (छत्तीसगढ़ में बहने वाली सबसे लम्बी नदी )
  • राज्य में प्रवेश – राजनन्दगाँव के पानाबरस पहाड़ी क्षेत्र से (अम्बागढ़ चौकी के निकट)
  • नदी के किनारे बसे नगर – अम्बागढ़ चौकी (राजनान्दगाँव), धमधा (दुर्ग) व नान्दघाट (बेमेतरा)
  • विसर्जन – शिवरीनारायण के निकट महानदी में मिलती है।
  • उत्तर दिशा की ओर से मिलने वाली सहायक नदी – मोंगरा बैराज परियोजना (राजनादगांव) आमनेर, हॉफ, आगर, मनियारी, अरपा एवं लीलागार
  • दक्षिण दिशा की ओर से मिलने वाली सहायक नदी – खरखरा, तान्दुला, खारून एवं जमुनिया
  • इस नदी के तट पर मदकूद्वीप (मुंगेली जिला) है, जहाँ पर ईसाइयों का प्रसिद्ध मेला लगता है।

शिवनाथ नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ

  • तान्दुला नदी
    • उद्गम स्थल – कांकेर जिले के भानुप्रताप पुर के उत्तर में स्थित पहाड़ियों से
    • प्रवाह क्षेत्र – कांकेर, बालोद तथा दुर्ग
  • खारून नदी
    • उद्गम स्थल- बालोद जिले के दक्षिण-पूर्व में पेटेचुआ पहाड़ी के समीप
    • प्रवाह क्षेत्र – दुर्ग, बालोद, रायपुर, बेमेतरा तथा बलौदाबाजार
    • कुल लम्बाई – 80 किमी
    • नदी के किनारे स्थित नगर रायपुर
    • खूंटाघाट जलाशय का निर्माण इसी नदी पर किया गया है।
  • ईब नदी
    • उद्गम स्थल- जशपुर जिले के पण्डरापाट स्थित खुरजा पहाड़ी से
    • इस नदी की कुल लम्बाई – 202 किमी और छत्तीसगढ़ में लम्बाई – 87 किमी
    • विसर्जन – ओडिशा के सम्बलपुर में महानदी में मिलता है।
  • मनियारी नदी
    • उद्गम स्थल – बिलासपुर जिले के उत्तर-पश्चिम में पेंड्रा लोरमी पठार के सिहावल नमक स्थल से
    • छत्तीसगढ़ में
    • लम्बाई – 134 किमी
    • इसका प्रवाह क्षेत्र मुंगेली तथा बिलासपुर
    • सहायक नदियाँ – आगर , छोटी नर्मदा, टेसुवा व घोंघा
    • विसर्जन – मदकूद्वीप के निकट शिवनाथ नदी में
  • हॉफ नदी
    • उद्गम स्थल – कवर्धा जिले के कान्दावाड़ी पहाड़ी से
    • कुल लम्बाई – 44 किमी
    • प्रवाह क्षेत्र – कवर्धा व बेमेतरा
    • विसर्जन – शिवनाथ नदी में मिलती है।
  • अरपा नदी
    • उद्गम स्थल – पेण्ड्रा लोरमी के पठार पर स्थित खोडरी खोंगसरा पहाड़ी से
    • कुल लम्बाई – 100 किमी
    • प्रवाह दिशा – बिलासपुर जिले के उत्तर-पश्चिमी भाग से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है।
    • प्रवाह क्षेत्र – बिलासपुर, बलौदाबाजार
    • विसर्जन – मानिक चोरी के समीप शिवनाथ नदी में मिलती है।
  • लीलागर नदी
    • उद्गम स्थल – कोरबा की पूर्वी पहाड़ी
    • प्राचीन नाम – निडिला नदी
    • कुल लम्बाई – 135 किमी
    • प्रवाह क्षेत्र – कोरबा तथा बिलासपुर
    • विसर्जन – कोरबा क्षेत्र से निकलकर दक्षिण में बिलासपुर और जांजगीर तहसील की सीमा बनाती हुई शिवनाथ नदी में मिलती है।
  • हसदो नदी
    • उद्गम स्थल – कोरिया जिले के सोनहट क्षेत्र में देवगढ़ के कैमूर की पहाड़ी
    • कुल लम्बाई – 338 किमी
    • छत्तीसगढ़ में लम्बाई – 176 किमी
    • प्रवाह क्षेत्र – कोरिया, कोरबा, जांजगीर-चाम्पा
    • विसर्जन – शिवरीनारायण के कोरा-सिलादेही ग्राम के निकट महानदी में मिलती है।
    • यह नदी महानदी की दूसरी सबसे लम्बी सहायक नदी है।
  • माण्ड नदी
    • उद्गम स्थल – सरगुजा जिले के मैनपाट से
    • प्रवाह क्षेत्र – सरगुजा, जशपुर, रायगढ़ व जांजगीर-चाम्पा
    • कुल लम्बाई – 155 किमी
    • विसर्जन – जांजगीर जिले में चन्द्रपुर के समीप महानदी में मिलती है।
  • केलो नदी
    • उद्गम स्थल – लुडेंग पहाड़ी रायगढ़ जिले की लैलूंगा तहसील से
    • प्रवाह क्षेत्र – रायगढ़ से
    • विसर्जन – ओडिशा में महादेवपाली नामक स्थल दे समीप महानदी में मिलती है
  • खरखरा नदी
    • उद्गम स्थल – बालोद जिले के डौंडीलोहारा से

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2 . गोदावरी अपवाह तन्त्र

Chhattisgarh Ka Apwah Tantra - Godawari
Chhattisgarh Ka Apwah Tantra – Godawari
  • गोदावरी प्रवाह तन्त्र छत्तीसगढ़ का दूसरा बड़ा अपवाह तन्त्र है, छत्तीसगढ़ के कुल अपवाह तन्त्र का लगभग 28.64% (39,497 वर्ग किमी) है।
  • इस अपवाह तन्त्र का ढाल दक्षिण भाग की ओर है अर्थात् इस भाग की अधिकतर नदियाँ दक्षिण की ओर बहकर गोदावरी क्रम का एक हिस्सा बनाती है।
  • इसका विस्तार दक्षिणी जिलों कांकेर, बस्तर तथा दन्तेवाड़ा के अन्तर्गत है।
  • बस्तर जिले का 93% तथा राजनान्दगाँव जिले का 21% भाग गोदावरी बेसिन में है।
  • इस अपवाह तन्त्र की प्रमुख नदियाँ गोदावरी, इन्द्रावती, शबरी, कोटरी, नारंगी, शंखिनी, डंकिनी, गुडरा तथा बाघ आदि हैं।
  • कृष्णा और गोदावरी मिलकर डेल्टा बनाती हैं।

गोदावरी अपवाह तंत्र की प्रमुख नदियाँ

  • गोदावरी नदी
    • उद्गम स्थल – महाराष्ट्र में नासिक के दक्षिण-पश्चिम में स्थित त्र्यम्बक की पहाड़ी से
    • कुल लम्बाई – 1465 किमी
    • प्रवाह दिशा – छत्तीसगढ़ की दक्षिणी सीमा बनाती हुई प्रवाहित होती है।
    • सहायक नदियाँ – इन्द्रावती, शबरी (प्रमुख सहायक नदी), कोटरी, डंकिनी-शंखिनी, बाघ, नारंगी, गुडरा, निबरा, चिन्तावागु इत्यादि हैं।
  • इंद्रावती नदी
    • उद्गम स्थल – कालाहाण्डी (ओडिशा) में स्थित 4000 फिट ऊँची मुंगेर पहाड़ी से
    • प्रवाह क्षेत्र – बस्तर, दन्तेवाड़ा, नारायणपुर तथा बीजापुर
    • छत्तीसगढ़ में लम्बाई – 264 किमी
    • प्रवाह दिशा – पश्चिम की ओर बहती है
    • सीमा रेखा – महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ की सीमा रेखा बनाती है।
    • विसर्जन – छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश के सीमा संगम पर भोपालपट्टनम् एवं भद्रकाली के समीप गोदावरी में मिलती है।
    • प्राचीन नाम – मन्दाकिनी
    • भद्रकाली, गोदावरी व इन्द्रावती के संगम पर स्थित है।
    • इन्द्रावती नदी को बस्तर जिले की जीवन-रेखा कहा जाता है।
    • इन्द्रावती नदी का अपवाह तन्त्र बस्तर सम्भाग में सबसे बड़ा है।
    • यह नदी बस्तर सम्भाग को विभाजित करती है।
    • जगदलपुर में स्थित चित्रकूट जलप्रपात, जिसे भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है, इसी नदी पर स्थित है।
    • सप्तधारा जलप्रपात इस नदी पर निर्मित है।
    • बोधघाट परियोजना इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है।
  • शबरी नदी
    • उद्गम स्थल – ओडिशा का कोरापुट जिला
    • प्राचीन नाम – कोलाब
    • कुल लम्बाई – 418 किमी
    • छत्तीसगढ़ में लम्बाई – 173 किमी
    • प्रवाह क्षेत्र – बस्तर तथा सुकमा
    • सहायक नदियाँ – कांगेर एवं मालगेर नदी
    • विसर्जन – तेलंगाना (खम्मम) जिले में भद्राचलम में पश्चिम में लगभग 50 किमी की दूरी पर गोदावरी में मिलती है।
    • शबरी नदी गोदावरी की दूसरी बड़ी सहायक नदी है।
    • यह दन्तेवाड़ा जिले में पश्चिम से पूर्व फिर उत्तर से दक्षिणी सीमा बनाती हुई प्रवाहित होती है। यह नदी छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मध्य सीमा रेखा का निर्धारण करती है।
    • रानीधारा जलप्रपात इसी नदी पर अवस्थित है।
    • शबरी नदी की सहायक नदी पर मुनगाबहार राज्य का सबसे ऊँचा जलप्रपात तीरथगढ़ जलप्रपात स्थित है।
  • कोटरी नदी
    • उद्गम स्थल – राजहरा की पहाड़ी मोहेला मानपुर तहसील से
    • प्राचीन नाम – परलकोट
    • कुल लम्बाई – 135 किमी
    • प्रवाह क्षेत्र – राजनन्दगाँव, नारायणपुर, बीजापुर (उत्तर से दक्षिण की ओर)
    • विसर्जन – राजनन्दगाँव, नारायणपुर, बीजापुर (उत्तर से दक्षिण की ओर)
    • यह नदी इन्द्रावती नदी की सबसे लम्बी सहायक नदी है।
    • कोटरी नदी बेसिन छत्तीसगढ़ की दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है।
  • नारंगी नदी
    • उद्गम स्थल – जगदलपुर जिले की उत्तरी-पूर्वी सीमा पर स्थित कोण्डागांव की माकड़ी पहाड़ी नामक स्थान से
    • तट पर स्थित शहर – कोण्डागाँव
    • विसर्जन – इन्द्रावती नदी में चित्रकूट जलप्रपात के निकट मिलती है
    • नारंग नदी में उत्तर-पूर्वी बस्तर की कोण्डागाँव तहसील की अधिकांश भूमि का जल संग्रहीत होता है।
  • डंकिनी नदी
    • उद्गम स्थल – किलेपाल एवं पाकनार की डाँगरी-डोंगरी (दन्तेवाड़ा)
    • सहायक नदी – शंखिनी नदी
    • विसर्जन – यह इन्द्रावती नदी में मिलती है।
    • डंकिनी-शंखिनी दोनों नदियों का संगम दन्तेवाड़ा में होता है। इस संगम के किनारे दन्तेश्वरी मन्दिर स्थित है।
    • डंकिनी-शंखिनी छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे प्रदूषित नदियाँ हैं।
  • अन्य सहायक नदियाँ
    • शंखिनी नदी
      • इस नदी का उद्गम बैलाड़ीला पहाड़ी (दन्तेवाड़ा) के 4,000 फीट ऊँचे नन्दीराज शिखर से होता है तथा यह नदी डंकिनी नदी में मिल जाती है। इस नदी का जल लाल (रक्ताभ) होता है।
    • गुडरा नदी
      • इस नदी का उद्गम नारायणपुर तहसील से होता है। यह नदी बारसूर के निकट इन्द्रावती नदी में मिल जाती है।
    • बाघ नदी
      • इस नदी का उद्गम राजनान्दगाँव जिले के फुलझारी/ कुलझारी पहाड़ी से है। यह नदी बेनगंगा प्रवाह तन्त्र की एक शाखा है, जो छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र राज्य की सीमा बनाती है। यह नदी गोदावरी की सहायक नदी वेनगंगा में मिल जाती है।

3. गंगा अपवाह तन्त्र

Chhattisgarh Ka Apwah Tantra - ganga
Chhattisgarh Ka Apwah Tantra – Ganga
  • छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में सोन नदी अपवाह तन्त्र पाया जाता है। सोन नदी गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है, इसलिए इसे गंगा अपवाह तन्त्र के अन्तर्गत शामिल किया जाता है।
  • गंगा नदी के अपवाह तन्त्र का विस्तार प्रदेश के 13.63% भाग में है। गंगा प्रवाह तन्त्र के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बिलासपुर एवं रायगढ़ जिले के क्षेत्र आते हैं।
  • बिलासपुर जिले का 5% भाग गंगा बेसिन के अन्तर्गत आता है।
  • रायगढ़ जिले का 14% भाग तथा सरगुजा जिले का 7% से 8% भाग गंगा बेसिन के अन्तर्गत आता है।

गंगा अपवाह तंत्र की सहायक नदियाँ

  • सोन नदी
    • उद्गम स्थल – अमरकण्टक पहाड़ी से (पेण्ड्रारोड की बंजारी पहाड़ी)
    • विसर्जन – पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हुई मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश से होती हुई बिहार की राजधानी पटना की गंगा नदी में मिलती है।
    • प्रवाह क्षेत्र – 18,789 वर्ग किमी
    • सहायक नदियाँ – रिहन्द, गोपद, बनास, कन्हार, नेयूर एवं बीजाल
    • सोन नदी राज्य के 18,789 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है।
    • यह नदी छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी भाग से बहती है।
    • यह नदी अपने उद्गम स्थल से निकलने के पश्चात् पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है।
  • सोन नदी की सहायक नदियाँ
    • बनास नदी
      • इसका उद्गम कोरिया जिले के भरतपुर तहसील के माँजटोली पहाड़ी से होता है।
      • यह नदी सोन नदी में मिल जाती है तथा इसकी सहायक नदी गोपद नदी है।
    • गोपद नदी
      • इसका उद्गम कोरिया जिले के सोनहट के पठार से है। यह नदी बनास नदी में मिल जाती है।
    • नेयूर नदी
      • यह नदी छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश राज्य की सीमा बनाती है।
  • रिहन्द नदी
    • उद्गम स्थल – अम्बिकापुर तहसील (सरगुजा) जिले के खुरी मतिरिंगा पहाड़ी
    • प्राचीन नाम – रेण्ड
    • प्रवाह – सरगुजा, सूरजपुर व बलरामपुर
    • छत्तीसगढ़ में लम्बाई – 145 किमी
    • कुल लम्बाई – 250 किमी
    • प्रवाह क्षेत्र – सरगुजा, सूरजपुर व बलरामपुर
    • सहायक नदियाँ – मोरनी, महान, घुनघुट्टा एवं सूर्या
    • विसर्जन – उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के चोपन के समीप सोन नदी में मिलती है
    • छत्तीसगढ़ की सीमा पर रिहन्द बाँध बनाया गया है।
    • यह बाँध उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में बनाया गया है, जिसे गोविन्द वल्लभ पन्त सागर/ जलाशय या रिहन्द बाँध कहा जाता है।
  • कन्हार नदी
    • उद्गम स्थल – बगीचा तहसील, जशपुर जिले की बखोना चोटी कोटा नामक स्थान के समीप सोन नदी में मिलती है
    • विसर्जन – कोटा नामक स्थान के समीप सोन नदी में मिलती है
    • छत्तीसगढ़ में लम्बाई – 115 किमी
    • प्रवाह क्षेत्र – जशपुर और बलरामपुर
    • सहायक नदियाँ – सिन्दूर , चनान, पेंजन एवं गलफुला
    • यह नदी जशपुर जिले की उत्तरी सीमा से निकलकर सरगुजा जिले में दक्षिण-पूर्व में पूर्वोत्तर की ओर छत्तीसगढ़-झारखण्ड सीमा बनाते प्रदेश के सोनभद्र जिले में प्रवेश करती है।
    • कन्हार नदी के तट पर बलरामपुर के निकट डीपाडीह में पुरातात्विक स्थल स्थित है।

4. नर्मदा अपवाह तन्त्र

Chhattisgarh Ka Apwah Tantra - narmada
Chhattisgarh Ka Apwah Tantra – Narmada
  • नर्मदा नदी छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा अपवाह तन्त्र है, इसके प्रवाह क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का लगभग 0.55% क्षेत्र आता है।
  • कबीरधाम जिले में बहने वाली नर्मदा नदी की प्रमुख सहायक नदी बंजर तथा टाण्डा (ताड़ा) हैं।
  • टाण्डा व बंजर नदियाँ पश्चिम की ओर से अपने उद्गम स्थल कवर्धा में बहती हैं।
  • छत्तीसगढ़ में बंजर नदी पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे लम्बी नदी है।
  • बंजर नदी का विसर्जन नर्मदा नदी में होता है।

5. ब्राह्मणी अपवाह तन्त्र

Chhattisgarh Ka Apwah Tantra - brahmani
Chhattisgarh Ka Apwah Tantra – Brahmani
  • इस अपवाह तन्त्र का निर्माण छत्तीसगढ़ को शंख व झारखण्ड की कोयल नदियों के मिलने से होता है।
  • ब्राह्मणी नदी का अपवाह तन्त्र बोनाई, तलचर और बालासोर जिले में है।
  • इसका प्रवाह क्षेत्र 1423 वर्ग किमी है तथा इसमें कुल अपवाह तन्त्र का 1.03% क्षेत्र आता है।

FAQ

छत्तीसगढ़ में कितने जल अपवाह तंत्र है ?

5 अपवाह तंत्र है
महानदी अपवाह तन्त्र (राज्य का सबसे बड़ा अपवाह तन्त्र)
गोदावरी अपवाह तन्त्र (राज्य का दूसरा बड़ा अपवाह तन्त्र)
गंगा अपवाह तन्त्र
नर्मदा अपवाह तन्त्र (सबसे छोटा अपवाह तन्त्र)
ब्राह्मणी अपवाह तन्त्र

महानदी इनमें से किससे निकलती है ?

सिहावा पर्वत

सिहावा पर्वत क्यों प्रसिद्ध है ?

महानदी उद्गम

महानदी का अन्य नाम क्या है ?

चित्रोत्पला

छत्तीसगढ़ का शहर जहाँ तीन नदियों का संगम है ?

राजिम

कौन सी नदी छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा के नाम से जानी जाती है ?

महानदी

शिवनाथ नदी का विसर्जन छत्तीसगढ़ के किस प्रसिद्ध स्थल में होता है ?

शिवरीनारायण

महानदी – शिवनाथ के दोआब किन जिलों में स्थित है ?

रायपुर , दुर्ग

खुरजा पहाड़ी किस नदी की उद्गम स्थान है ?

ईब

अरपा नदी का उद्गम स्थल है ?

पेण्ड्रा

बिलासपुर नगर के मध्य से कौन सी नदी गुजरती है ?

अरपा

कौन सी नदी पश्चिम की ओर बहती है ?

इंद्रावती

चित्रकूट जलप्रपात की ऊंचाई कितनी है ?

90 फिट

तीरथगढ़ जलप्रपात किस जिले में है ?

बस्तर

अमृतधारा जलप्रपात किस नदी पर है ?

हसदो

खुरसेल झरना किस जिले में स्थित है ?

नारायणपुर

आज के इस पोस्ट Chhattisgarh Ka Apwah Tantra में अपने जाना छत्तीसगढ़ के अपवाह तंत्र के बारे में आसान तरीके से पोस्ट को बनाया गया है ताकि आपकी विषय वास्तु को समझने में आसानी हो और जल्दी याद हो जाये प्रतियोगी परीक्षाओ में ऐसे ही सवाल पूछे जाते है।

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जयहिंद

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