आज के पोस्ट में आप जानेंगे “Chhattisgarh Ke Mahapurush” के बारे में संक्षिप्त परिचय, प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर इनके बारे में सवाल पूछे जाते है जिनके बारे में हम आज यहाँ जानकारी प्राप्त करेंगे।
शहीद वीर नारायण सिंह
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- इनका जन्म 1795 में सोनाखान, बलौदाबाजार में हुआ था।
- इनके पिता का नाम श्री रामराय बिंझवार था।
- वीर नारायण सिंह जी के बेटे का नाम गोविंद सिंह था।
- पिता की मृत्यु के पश्चात ये सोनाखान के जमींदार बने।
- इन्हे छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और प्रथम शहीद कहा जाता है।
- वीर नारायण सिंह जी बिंझवार जनजाति के थे।
- महासमुन्द जिले में स्थित कोड़ार बांध को वीर नारायण सिंह के नाम पर रखा गया है।
- रायपुर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का नाम भी – शहीद वीरनारायण सिंह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के नाम पर रखा गया है।
- वीर नारायण सिंह जी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए खुद की आर्मी बनाई थी जिसमे 900 जवान थे।
- 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक में आम नागरिकों के सामने वीर नारायण सिंह को फांसी पर लटकाया गया था।
वीर हनुमान सिंह
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- इन्हे छत्तीसगढ़ का मंगल पाण्डेय कहा जाता है।
- हनुमान सिंह जी ने 18 जनवरी 1858 को सार्जेंट मेजर सिडवेल की हत्या कर दी थी जो रायपुर के तृतीय रेजीमेंट का फौजी अफसर था।
- इन्हें छत्तीसगढ़ का पहला स्वतत्रंता सेनानी शहीद कहते हैं।
- हनुमान सिंह जी रायपुर फौज छावनी में तीसरे रेजिमेंट में मैग्जीन लश्कर के पद पर पदस्थ थे।
- हनुमान सिंह जी कभी पकड़ में नहीं आये लेकिन उनके 17 क्रांतिकारि साथियों को 22 जनवरी 1858 को फांसी दे दी गई।
पंडित सुन्दर शर्मा
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- इनका जन्म 21 दिसम्बर 1881 को चमसूर राजिम, गरियाबंद में हुआ था।
- पिता का नाम जगलाल तिवारी एवं उनकी माता का नाम देवमती था।
- इन्हे छत्तीसगढ़ का गाँधी कहा जाता है।
- उनकी स्कूली शिक्षा प्राथमिक स्तर तक हुई और आगे घर पर ही स्वाध्याय से इन्होने संस्कृत, मराठी, बांगला, उड़िया भाषाएं सीख लीं.
- किशोरावस्था से कविताएं, लेख तथा नाटक लिखने लगे थे।
- इन्होने हिंदी तथा छत्तीसगढ़ी में लगभग 18 ग्रंथों की रचना की, जिसमें छत्तीसगढ़ी दान-लीला चर्चित कृति है।
- सुन्दर शर्मा जी कुरीतियों को मिटाने के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार को आवश्यक समझते थे।
- पंडित सुन्दर शर्मा जी एक कवि सामाजिक कार्यकर्ता, समाज सेवक, इतिहासकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
- इन्होने छत्तीसगढ़ में दुलरवा पत्रिका और हिंदी में कृष्ण जन्मस्थान पत्रिका लिखा।
- 1906 में सुमित्र मण्डल की स्थापना की।
- 1918 में सतनामियों को जनेऊ धारण करवाया।
- वर्ष 1924 -25 में रायपुर में सतनामी आश्रम की स्थापना की।
- छत्तीसगढ़ का रेखाचित्र अपनी पाण्डुलिपि में खिचा इस कारण इन्हे छत्तीसगढ़ का प्रथम संकल्पनाकर कहा जाता है।
- सुंदरलाल शर्मा के कारण है महात्मा गाँधी जी ने 20 दिसंबर 1920 को छत्तीसगढ़ में प्रथम बार आये थे।
- बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव एवं नारायण राव मेघावले के साथ मिलकर कण्डेल नहर सत्याग्रह का नेतृत्व किया।
पंडित रविशंकर शुक्ल
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- इनका जन्म 2 अगस्त 1877 में सागर, मध्यप्रदेश में हुआ ।
- वर्ष 1921 में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की ।
- वर्ष 1921 में कांग्रेस के सदस्य बने एवं कांग्रेस महासमिति के सदस्य निर्वाचित हुए ।
- वर्ष 1930 को रायपुर में सोडा और एचसीएल का उपयोग कर नमक बना कर नमक कानून तोड़ा था ।
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय डिक्टेटर चुने गये थे ।
- वर्ष 1935 में ‘महाकौशल’ हिंदी साप्ताहिक का प्रकाशन, नागपुर से प्रारंभ किया।
- वर्ष 1936-37 में मध्यप्रांत में शिक्षामंत्री बने ।
- 1946 में पुनः मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने तथा भारत के स्वतंत्रता के पश्चात् सन् 1951 में कांग्रेस की ओर से मध्यप्रांत के प्रथम मुख्यमंत्री बने ।
- 31 दिसंबर 1956 में मध्यप्रदेश के इस निर्माता का निधन हो गया।
मिनीमाता
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- इनका जन्म 1920 में असम में हुआ था।
- इनका वास्तविक नाम मिनाक्षी है।
- वर्ष 1952 में रायपुर निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित होकर छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद बनी ।
- इन्हीं के नाम पर छत्तीसगढ़ का विधानसभा का नाम ‘मिनीमाता’ रखा गया है।
- मिनीमाता का जन्म 15 मार्च 1916 में असम राज्य के नवागांव जिले के जमुनामुख ग्राम में हुआ था।
- इनके परिजन व घर वाले बचपन मे मीनाक्षी को “मिनी” कहते थे।
- इनका परिवार मूलतः बिलासपुर जिला के निवासी थे।
- मिनीमाता को बहुत से अलग अलग भाषाओं का ज्ञान था जिसमे असमिया, अंग्रेजी, बांगला, हिन्दी तथा छत्तीसगढी प्रमुख है।
- मीनाक्षी का विवाह 1932 में सतनामी समाज के गुरु अगमदास जी के साथ हुआ था।
- गुरु अगमदास राष्ट्रीय कांग्रेस में पदाधिकारी थे मिनीमाता उनके हर दौर में उनके साथ ही होती थी।
- 1952 में गुरु अगमदास का निधन हो गया तब मिनीमाता संसद की सदस्य बनी थीं।
- पंडित रविशंकर शुक्ल कि प्रेरणा और मार्गदर्शन से चुनाव में मिनीमाता रायपुर से सांसद चुनी गई।
- 1952 से 1972 तक मिनीमाता लोकसभा में सारंगढ़, जांजगीर तथा महासमुंद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
- छुआछूत निवारण बिल 1955 को पास करने में मिनीमाता ने बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
- भारतीय दलित वर्ग संघ की उपाध्यक्ष थीं उन्होंने छत्तीसगढ़ मजदूर संघ का गठन किया था।
- मिनीमाता ने बाल विवाह, दहेज प्रथा, छुआछूत, आदि का विरोध किया था।
- स्थानीय निवासियों को रोजगार और औद्योगिक प्रशिक्षण के अवसर भिलाई इस्पात संयंत्र में उपलब्ध कराने की दिशा में आज भी उन्हें याद किया जाता है।
- हसदेव बांगो बाँध को ‘मिनीमाता’ भी कहते है जो इन्हीं के नाम पर रखा गया है।
- अपना सारा जीवन इन्होने समाज में पिछड़ापन, कुरूतियों और छुआछूत को दूर करने के लिए समर्पित कर दिया था।
- 11 अगस्त 1972 को भोपाल से दिल्ली जाते हुए पालम (दिल्ली) हवाई अड्डे के पास विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया।
ठाकुर प्यारेलाल सिंह
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- इनका जन्म 1891 दैहान ग्राम-राजनांदगांव में हुआ था।
- 1909 में राजनांदगाँव में सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की।
- ये छत्तीसगढ़ राज्य के ‘सहकारिता आन्दोलन एवं मजदूर आन्दोलन’ के जनक माने जाते है ।
- वर्ष 1920 में बंगाल नागपुर कॉटन मिल मजदूर हड़ताल के नेतृत्वकर्ता थे।
- 1924 में राजनांदगांव के दीवान कुतुबुद्दीन को पद से हटाने के लिए आंदोलन किया।
- 1926 – रायपुर में छत्तीसगढ़ छात्र सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन कि अध्य्क्षता की ।
- ठाकुर प्यारेलाल जी ने 1920 – छत्तीसगढ़ में प्रथम BNC मिल मजदूर आंदोलन की अगुवाई की।
- राजनांदगांव बंगाल नागपुर कटान मिल में सन 1920 में ठाकुर प्यारेलाल सिंह के नेतृत्व में हड़ताल प्रारंभ हुई।
- 1923 – नागपुर में सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ किया ।
- 1936 – ठाकुर प्यारेलाल सिंह रायपुर नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- ठाकुर प्यारेलाल सिंह के द्वारा राजनांदगांव में पट्टा मत लो, लगान मत दो आंदोलन(1930) आंदोलन का नेतृत्व किया ।
- छत्तीसगढ़ एजुकेशन सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष थे ।
- 1933 में महाकौशल प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के मंत्री बने ।
- इन्होंने 1950 में ‘राष्ट्रबंधु’ नामक समाचार पत्र का संपादन और प्रकाशन किया।
- जे. बी. कृपलानी के ‘कृषक मजदूर प्रजा पार्टी’ में शामिल होकर रायपुर से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।
- प्यारे लाल जी सहकारी आंदोलन के जनक थे, इन्हे छत्तीसगढ़ का गांधी भी कहा जाता है ।
- भूदान यात्रा के समय अस्वस्थ हो जाने से ठाकुर प्यारेलाल जी का निधन(1954 में ) हो गया।
डॉ. खूबचंद बघेल
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- इनका जन्म 1900 ई. में ग्राम-पथरी, रायपुर में हुआ।
- इनके पिता का नाम जुड़ावन प्रसाद और माता का नाम श्रीमती केकती बाई था ।
- इनकी प्रारंभिक शिक्षा पथरी ग्राम में हुई थी बाकी की पढ़ाई वे रायपुर से हुई ।
- मैट्रिक की शिक्षा पूरी करने के बाद रॉबर्ट्सन मेडिकल कॉलेज (नागपुर) में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया।
- खूब चंद बघेल जी की रचना ऊंच – नीच, करम – छंडहा, जनरैल सिंह, छत्तीसगढ़ का सम्मान, भारतमाता ।
- हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना का प्रारंभ भी किया है।
- रायपुर स्टेशन पर 1917 में बाल गंगाधर तिलक जी से प्रभावित होकर आंदोलन में भाग लिए ।
- झंडा सत्याग्रह (1923 ) में भाग लेकर गाँधीजी का सहयोग किया।
- असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर के रूप में(1925) रायपुर में कार्यरत थे।
- वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लिया था, इसी समय वे अपनी सभी सुख सुविधाओं और नौकरी का भी त्याग कर दिए थे ।
- गाँधीजी व विनोबा भावे के साथ व्यतिगत सत्याग्रह आंदोलन में वर्ष 1940 में भाग लिया ।
- छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में निर्वाचित प्रथम सांसद थे।
- छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की मांग के लिए वर्ष 1956 में छत्तीसगढ़ महासभा का आयोजन राजनांदगांव में किया।
- वर्ष 1967 में खूबचंद बघेल ने बैरिस्टर छेदीलाल की सहायता से राजनांदगांव में ‘छत्तीसगढ़ भातृत्व संघ’ का गठन किया।
- डॉ खूबचंद बघेल सम्मान “कृषि के क्षेत्र” में दिया जाता है.
- 22 फरवरी 1969 में दिल्ली प्रवास के दौरान इस लोक के नेता का निधन हो गया।
वामनराव बलिराम लाखे
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- इनका जन्म 17 सितम्बर 1872 में रायपुर में हुआ ।
- भारत आज़ादी के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।
- वर्ष 1913 में शोषित किसानों की सेवा हेतु अपना कार्य क्षेत्र सहकारी आंदोलन को बनाया जिससे जीवन पर्यन्त जुड़े रहे।
- 1915 में होमरूल लीग की स्थापना की गई जिसके वामनराव जी संस्थापक थे।
- असहयोग आन्दोलन के दौरान इन्होंने राय साहब की उपाधि त्याग दी तब यहाँ के लोगों ने इन्हें ‘लोकप्रिय’ की उपाधि दिया। राय साहब की उपाधि इन्हें ब्रिटिश शासन के द्वारा दिया गया था।
- उनके प्रयासों से रायपुर में ‘को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक’ 1913 में स्थापित किया गया। लाखे जी इस बैंक के 1936 तक मंत्री तथा 1937-48 तक अध्यक्ष भी रहे।
- 1945 में ‘किसान-कोऑपरेटिव राईस मिल’ की स्थापना बलौदाबाजार में की।
- वामनराव जी ने रायपुर में AVM School की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
- 21 अगस्त 1948 को उनकी निधन के बाद AVM School का नाम बदलकर श्री वामन राव लाखे उच्चतर माध्यमिक शाला रायपुर कर दिया गया।
गुन्डाधुर
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- गुन्डाधुर धुरवा जनजाति के थे और बस्तर के नेतानार ग्राम में रहते थे।
- गुन्डाधुर भूमकाल विद्रोह (1910) के नेता थे।
- सोनू माँझी नामक व्यक्ति के विश्वासघात के कारण भूमकाल विद्रोह असफल हो गया।
- छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इनके नाम पर खेल पुरस्कार दिया जाता है।
- इनकी तुलना तात्याटोपे के अभियान से की जाती है ।
- सन् 1910 में हुए बस्तर में हुए भूमकाल विद्रोह के नेतृत्वकर्त्ता गुण्डाधुर थे।
- यह विद्रोह पूर्णरूप से ब्रिटिश सरकार द्वारा किये जा रहे अत्याचार, लूटपाट एवं शोषण के विरुद्ध था।
- इस विद्रोह की शुरूआत सन् 2 फरवरी 1910 में जगदलपुर के पुसपाल बाजार से शुरू हुआ।
- इसका प्रतीक चिन्ह लाल मिर्च, आम की टहनी, धनुष, भाला, मिट्टी के ढेले थे।
- इस विद्रोह के दमनकर्त्ता कैप्टन गेयर थे और मुखबिर सोनू मांझी था ।
माधव राव सप्रे
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- पं. माधवराव सप्रे का जन्म 19 जून 1871 में पथरिया, दमोह, मध्यप्रदेश में हुआ था।
- छत्तीसगढ़ की प्रथम मासिक पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ (1900) का प्रकाशन पेण्ड्रारोड बिलासपुर से किया।
- इसकी छपाई कयूमी प्रेस (रायपुर) से होता था ।
- इस पत्रिका के प्रकाशक- लाखेजी एवं संपादक-सप्रे जी थे।
- सप्रे जी के प्रेरणा से रायपुर में आनंद समाज पुस्तकालय की नींव रखी गई।
- सन् 1905 ई. में सप्रे जी ने हिंदी ग्रंथ – प्रकाशक मंडली की स्थापना की।
- 1907 में ‘हिंदी केसरी’ का प्रकाशन रायपुर से शुरू किया।
- इनके द्वारा लिखी गई कृतियाँ – स्वदेशी आंदोलन और बॉयकाट, यूरोप के इतिहास से सीखने योग्य बातें, हमारे सामाजिक ह्रास के कुछ कारणों का विचार, आदि.
- अनुवाद : हिंदी दासबोध, गीता रहस्य, महाभारत मीमांसा
- हिंदी की पहली कहानी होने का श्रेय – सप्रे जी की कहानी “एक टोकरी मिट्टी” (जिसे बहुधा लोग “टोकनी भर मिट्टी” भी कहते हैं) को प्राप्त है।
- 23 अप्रैल 1926 को इनका निधन हो गया।
यति यतनलाल जैन
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- इनका जन्म 1894 बीकानेर, राजस्थान में हुआ।
- 6 माह की आयु में माता-पिता का देहावसान हो गया तत्पश्चात गुरु बाह्यमल ने पुत्रवत् पालन-पोषण किया ।
- छत्तीसगढ़ में इन्हे सामाजिक एवं सांस्कृतिक जागृति का प्रेरणा स्त्रोत माना जाता है।
- ये श्रेष्ठ वक्ता, लेखक एवं समाज सुधारक थे।
- छत्तीसगढ़ शासन ने इनकी स्मृति में अहिंसा एवं गौ रक्षा में यति यतनलाल सम्मान स्थापित किया।
- वर्ष 1919 में राजनीति से जुड़े एवं वर्ष 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
- वर्ष 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचार कार्य में सयोजक एवं नगर प्रमुख के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- महासमुंद में विवेकवर्धन आश्रम की स्थापना इन्होंने किया था।
- यति यतनलाल जैन जी अहिंसा-प्रचार के अग्रदूत थे।
- इनके द्वारा रायपुर के चिकित्सालय में पुस्तकालय की स्थापना की गई ।
- 4 अगस्त 1976 में मुम्बई में इनका निधन हो गया।
रामप्रसाद देशमुख
- इनका जन्म-पिनकापर, दुर्ग सन् 1878 में हुआ था।
- दुर्ग के ‘सहकारिता आंदोलन’ के जनक के रूप में नेतृत्व किया।
- दुर्ग के सहकारी बैंक की स्थापना में इनका सहयोग रहा, साथ ही 11 वर्षों तक इस बैंक के अध्यक्ष भी रहे।
- सन् 1935 ई. में दुर्ग जिला ‘भूमि विकास बैंक’ की स्थापना की।
- डिस्ट्रिक काउंसिल एवं नगर पालिका दुर्ग के अध्यक्ष के रूप में भी पदासिन रहे ।
- सन् 1944 में इनका निधन हो गया।
नत्थूजी जगताप
- नत्थूजी जगताप का जन्म धमतरी में हुआ।
- जगताप जी 22 गांवों के मालगुजार थे।
- इन्होंने सन् 1914 में ‘कृषि सहकारी बैंक’ धमतरी की स्थापना की।
- गाँधीजी ‘कण्डेल नहर सत्याग्रह’ के दौरान इनके निवास स्थान पर ठहरे थे।
- इन्होंने ‘संस्कृत पाठशाला’ (1921) स्थापित की।
- इन्होंने धमतरी में ‘हिंदु अनाथालय’ (1935) की स्थापना की।
- इनका निधन सन् 1937 में हुआ।
नारायण राव मेघावाले
- नारायण राव मेघावाले का जन्म – 1883 धमतरी में हुआ था ।
- धमतरी में पहली बार ‘गणेश उत्सव’ (1911) का आयोजन किया ।
- सन् 1920 ई. में कंडेल नहर सत्याग्रह का गांव-गांव जाकर प्रचार-प्रसार किया। इनके प्रयास इस सत्याग्रह में उल्लेखनीय रहे।
- सन् 1921 में धमतरी नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए।
घनश्याम सिंह गुप्त
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- घनश्याम सिंह गुप्त का जन्म दुर्ग में सन् 1885 ई. को हुआ था।
- इन्होंने ‘होमरूल लीग’ की एक शाखा की दुर्ग में स्थापना की।
- अपने प्रभावी व्यक्तित्व के कारण सन् 1930 में प्रांतीय विधानसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुये ।
- ये 1937 से 1952 तक विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे।
- इस कारण इन्हें ‘छत्तीसगढ़ का विधान पुरुष’ के नाम से जाना जाता है।
- इन्होंने दुर्ग में तुलाराम आर्य कन्या विद्यालय की स्थापना की।
- इस विधान पुरुष का निधन सन् 1976 में हुआ ।
बैरिस्टर छेदीलाल
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- ठाकुर छेदीलाल का जन्म – 1886 में जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा नामक स्थान में हुआ था।
- छत्तीसगढ़ के प्रथम बैरिस्टर थे।
- इन्होंने बिलासपुर में ‘सेवा समिति’ की स्थापना की।
- देशप्रेम से ओतप्रोत होकर इन्होंने वकालत छोड़कर असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया ।
- ‘राष्ट्रीय शिक्षा मण्डल’ के तीन सदस्यों में शामिल थे।
- ये सन् 1924 के प्रांतीय विधानसभा चुनाव में निर्वाचित हुये ।
- सन् 1937 में ‘महाकौसल कमेटी’ के अध्यक्ष निर्वाचित हुये ।
- प्रसिद्ध रचना : ‘हालैंड की स्वाधीनता’ नामक ग्रंथ लिखा ।
- इस महान स्वतंत्रता सेनानी का निधन 18 सितंबर 1956 को हो गया।
शंकरराव गनौदवाले
- जन्म-1887, गनौद नामक गांम में हुआ था।
- इन्होंने ‘तमोरा जंगल सत्याग्रह’ का कुशल नेतृत्व किया।
- सन् 1930 ई. में रायपुर में हिंदू स्कूल में उद्योग मंदिर खोला, यहाँ जंगल सत्याग्रहियों को प्रशिक्षण दिया जाता था।
डॉ. ई. राघवेन्द्र राव
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- इनका जन्म – 1889 कामठी में हुआ था ।
- सन् 1914 में इंग्लैड से बैरिस्टर की शिक्षा प्राप्त कर बिलासपुर लौटे।
- 1916 में बिलासपुर नगर पालिका तथा डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए।
- वायसराय की कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में मनोनित हुए ।
- 1942 को अल्प आयु में ही दिल्ली में इनका निधन हो गया ।
छोटेलाल श्रीवास्तव
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- इनका जन्म 1889 कंडेल ग्राम धमतरी में हुआ था ।
- श्रीवास्तव जी कंडेल ग्राम के मालगुजार थे।
- इनके नेतृत्व में कडेल नहर सत्याग्रह संचालित हुई।
- सन् 1915 में धमतरी में ‘श्रीवास्तव पुस्तकालय’ की स्थापना किया।
- सन् 1921 में धमतरी में ‘राष्ट्रीय विद्यालय’ की स्थापना की।
- श्यामलाल सोम के नेतृत्व में नगरीय सिहावा में ‘जंगल सत्याग्रह’ (1922) में हिस्सा लिया।
- 1925-धमतरी में संस्कृत ‘संस्कृत पाठशाला’ की स्थापना की।
- 1987 – ‘धमतरी नगर पालिका’ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- 1976 – कंडेल ग्राम में इनका निधन हो गया।
सुरेन्द्र साय
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- इनका जन्म सन् 1827 ई. में सम्बलपुर के चौळान राज परिवार में हुआ था।
- विद्रोह-सुरेन्द्र साय के भाइयों, उनके चाचा बलरामसिंह तथा अनेक जमींदारों ने विद्रोह का प्रारम्भ किया ।
- सुरेन्द्र साय के समर्थकों द्वारा लखनपुर जमींदारों के बलभद्र देव की नारायण सिंह की एक सिपाही की हत्या कर दी। जिसका बदला लेने के लिये सुरेन्द्र साय ने रायपुर के एक किले पर हमला कर दिया।
- इस अपराध के कारण सुरेन्द्र साय, उनके भाई उदन्त साय और चाचा बलराम सिंह को आजीवन कारावास की सजा देकर हजारी बाग जेल भेज दिया गया।
- 31 अक्टूबर 1857 को सुरेन्द्र साय जेल से भागने में सफल हुए।
- सुरेन्द्र साय को 23 जनवरी 1864 को उनके भाईयों तथा साथियों सहित पुनः गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
- 28 फरवरी 1884 ई. में असीरगढ़ जेल में लगभग 90 वर्ष की आयु सुरेन्द्र साय की मृत्यु हो गई ।
गेंद सिंह
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- 1820 के समय में आवागमन में आसानी को देखते हुए, नए नियुक्त किये गए कप्तान पेबे ने परलकोट को अपना गढ़ चुना, उस समय वह के राजा महिपाल देव थे, जो अजमेर सिंह के वंश के थे, परंतु अंग्रेजी के समर्थक थे।
- पारलकोट में मुख्यतः अबुझमाड़ी जनजाति थी, उनपर हो रहे अत्याचार उन्हें बर्दाश्त नहीं थे ।
- 1824 में गेंद सिंह ने सारे अबुझमाड़ियों का नेतृत्व करते हुए अंग्रेज मुक्त बस्तर का आह्वान किया, जिसे पारलकोट के विद्रोह के नाम से जाना गया, जिसका मूल उद्देश्य बस्तर को बाहरी लोगों से मुक्त करना था।
- विद्रोह इतना बड़ा हो चुका था कि छत्तीसगढ़ के ब्रिटिश अधीक्षक एग्न्यू को सीधा हस्तक्षेप करना पड़ा। सारे अत्याचारों, हथियारों के कमी के बावजूद अबुझमाड़ी गेंद सिंह ने सिर झुकना उचित नहीं समझा, एग्न्यू ने चंद्रपुर से बड़ी सेना बुलवाई और 10 जनवरी 1825 को परलकोट को चारों ओर से घेर लिया।
- गेंद सिंह गिरफ्तार हो गए और उनकी गिरफ्तारी से आंदोलन थम गया। गिरफ्तारी के 10 दिन बाद ही 20 जनवरी 1825 को परलकोट के महल के सामने ही गेंद सिंह को फाँसी दे दी गई और वे वीरगति को प्राप्त हो गए।
मुंशी अब्दुल रउफ मेहवी
- इनका जन्म 27 मार्च 1894 को रायपुर में हुआ था ।
- अब्दुल रउफ ने अपनी प्रतिभा और लगन से उर्दू और फारसी की शिक्षा प्राप्त की।
- उन्हें साहित्य के क्षेत्र में विशेष लगाव था।
- नागपुर अधिवेशन में 1920 में भाग लेने के लिये गये। 1921 में जिला खिलाफत कमेटी में मंत्री पद के लिये निर्वाचित हुए। 1922 में इन्हें असहयोग आंदोलन के दौरान इन्हें 9 माह की सजा हुई।
- 1930 में हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत रायपुर में 5 पांडवों में से एक थे। इनका नाम नकुल रखा गया था।
रामदयाल तिवारी
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- पं. रामदयाल तिवारी का जन्म 23 जुलाई 1892 को रायपुर में हुआ था।
- रामदयाल तिवारी अनेक भाषाओं के प्रति गहरी रुची एवं ज्ञान रखते थे- जिनमें से मुख्यतः हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी, संस्कृत, बंगाली, उड़िया और उर्दू भाषाओं में विशेष अनुभव था।
- 1935 में गाँधी जी से प्रभावित होकर गांधी मीमांसा नामक ग्रंथ की रचना की।
- 1942 में हुए बंबई अधिवेशन में सम्मिलित हुए।
- 22 अगस्त 1942 को इनका देहांत हो गया।
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रत्नाकर झा
- रत्नाकर झा का जन्म खैरागढ़ रियासत के अंजनिया नामक ग्राम में 1896 में हुआ ।
- रत्नाकर झा मुख्य रूप से पेशे से वकील थे।
- 1920 में हुए असहयोग आंदोलन के दौरान इन्होंने अपनी वकालत त्याग दी और इस आंदोलन में सक्रिय हो गये।
- 1922 में दुर्ग आकर रहने लगे और वहीं से वे स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों में सक्रिय रहे ।
- 1923 में दुर्ग जिला सहकारी अधिकोष के कार्यकारिणी सदस्य निर्वाचित हुए एवं 1933 में उपप्रधान तथा 1940 से 1971 तक के उस कार्यकारिणी के अध्यक्ष पद पर कार्य करते रहे।
- 1946 से 1972 तक के मध्यप्रदेश सहकारी अधिकोष के कार्यकारिण सदस्य रहे तथा दुर्ग नगरपालिका के अध्यक्ष पर 1929 से 1931 तक पदस्थ रहे।
- आजादी की लड़ाई में भाग लेने के दौरान 1940 से 1942 के बीच उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
- सन् 1973 में इनका निधन हो गया।
क्रांति कुमार भारती
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- इनका जन्म 4 मार्च 1894 को कलकत्ता में एक राजस्थानी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- रायपुर के क्रांतिकारी संगठनों में क्रांति कुमार भारती का विशेष योगदान रहा।
- 1920 में इन्हें गुणगांव के कलेक्टर मि. स्ट्रोवास्कस द्वारा 1 वर्ष के लिये नज़रबंद की सजा दी गई। इसी वर्ष फिरोजपुर डकैती कांड में सहयोग के आरोप में इन्हें सहारनपुर मजिस्ट्रेट द्वारा 4 वर्ष की सजा दी गई।
- बिलासपुर के शासकीय हाई स्कूल में तिरंगा फहराने के कारण 16 अगस्त को इन्हें गिरफ्तार कर 6 माह की कैद की सजा सुनाई गई।
- साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में भी विशेष योगदान रहा। बिहार से मुक्त नामक पत्रिका, रायपुर से छत्तीसगढ़ केसरी एवं बिलासपुर से कर्मक्षेत्र नामक पत्रिका में सम्पादकीय का कार्य इन्होंने किया।
- 2 अगस्त 1976 से इनका निधन हो गया।
आज के इस पोस्ट में अपने जाना छत्तीसगढ़ के महापुरुषों के नाम एवं कार्य हमने कोशिश किया है इन महापुरुषों के फोटो एवं महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने का अगर आपके पास और भी जानकारी इनसे सम्बंधित हो तो हमें मेल जरूर करें , अपने दोस्तों के साथ शेयर करें , धन्यवाद फिर मिलते है एक नई जानकारी के साथ आपका दिन शुभ रहे।